अलवर। राजगढ के रैणी के बैरेर गांव के बोर में गिरी बालिका को प्रशासन 4 दिन बाद भी शाम तक नहीं निकाला जा चुका है। मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। प्रशासन ने पूरी मुस्तैदी दिखाते हुए चौथे दिन बचाव कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया है।
बोर के चारों तरफ 45 फीट खुदाई की जा चुकी है। खुदाई कार्य में दो पोकलेन, दो जेसीबी एवं 4 डंपर की मदद ली जा रही है। मौके पर प्रशासनिक अधिकारी एवं रेस्क्यू टीमें काम कर रही है। वहीं ग्रामीणों का हुजूम लगा हुआ है।
इस हादसे ने एक बार फिर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पहले भी इस तरह के हादसे हो चुके हैं लेकिन आज तक ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए ना तो कोई स्थाई टीम का गठन किया गया है औऱ ना ही संसाधन तैयार किए गए हैं।
जिस तरह प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन को तेज किया औऱ मशीनें मंगवाई, यह तेजी बुधवार को होती तो शायद सफ लता मिल सकती थी। जिले के प्रभारी मंत्री भी अलवर में ही मौजूद हैं लेकिन इस दर्दभरी घटना से पूरी तरह दूरी बनाए हुए है।
रैणी में हुए हादसे से सबक लेना चाहिए और प्रशासन को जिले में होने वाले ऐसे हादसों से निपटने के लिए स्थाई टीम और संसाधन हमेशा तैयार रखना चाहिए।
दुख की बात यह है कि संपूर्ण जिले को डार्क जोन घोषित किया जा चुका है, लेकिन यहां बेरोकटोक बोरिंग खोदे जा रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो अलवर जिले में करीब 2 दर्जन से ज्यादा भीलवाडा बोरिंग मशीनें रात और दिन जगह-जगह जिले की विभिन्न तहसीलों में बिना अनुमति के बोरिंग का कार्य कर रही है।
इन बोरिंग खुदाइयों की जानकारी जब किस के द्वारा प्रशासन को दी जाती है तो उस जानकारी पर लीपापोती की जाती है। शिकायतकर्ता को भ्रमित करते हुए तब तक डुलाया जाता है जब तक अवैध कार्य संपन्न न हो जाए।