श्रीनगर। खराब मौसम के बावजूद गुरुवार को अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल एन.एन वोहरा ने तीर्थयात्रा की औपचारिक शुरुआत के तहत हिमालय की पवित्र अमरनाथ गुफा के अंदर एक प्रार्थना में भाग लिया।
उत्तरी कश्मीर के बालटाल शिविर से करीब 6,000 तीर्थयात्रियों और पहलगाम मार्ग से 5,000 तीर्थयात्रियों को मंदिर की ओर जाने की अनुमति दी गई है।
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अध्यक्ष वोहरा गुरुवार को अमरनाथ गुफा में पारंपरिक पूजा में शामिल हुए।
गांदरबल और अनंतनाग के जिलाधिकारियों ने इससे एक पहले यात्रा की शुरुआत की आह्वन किया था। इस साल करीब 1.2 लाख तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण कराया था। 2,481 तीर्थयात्री जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से 66 वाहनों में सवार होकर निकले।
एक अधिकारी ने बताया कि 1,616 तीर्थयात्रियों के लिए पहलगाम मार्ग से और 865 तीर्थयात्रियों को बालटाल मार्ग से रवाना किया गया।
आतंकवादी हमलों की खुफिया सूचना के मद्देनजर इस साल की यात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
सैमसंग ट्रैकिंग सिस्टम, ड्रोन, मोबाइल बंकर वाहन, रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) सहित जम्मू से पहलगाम और बालटाल तक पूरे मार्ग में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है।
यात्रा के शांतिपूर्ण संचालन के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की सहायता के लिए अतिरिक्त 40,000 अर्धसैनिक बल उपलब्ध कराए हैं।
सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सशस्त्र सीमा बल और राज्य पुलिस तीर्थयात्रियों को बहु-स्तरीय सुरक्षा प्रदान कर रही है। बालटाल और पहलगाम शिविर में भी भारी सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।
बाबा अमरनाथ के दर्शन के बाद तीर्थयात्रियों को बालटाल शिविर तक लौटने में सिर्फ एक दिन का समय लगता है। हालांकि, पहलगाम से अमरनाथ गुफा तक एक तरफ की यात्रा में चार दिन लगते हैं।
बालटाल से गुफा की दूरी 14 किलोमीटर जबकि पहलगाम से 46 किलोमीटर है। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में 40 दिवसीय हिमालय की पवित्र तीर्थस्थल यात्रा 7 अगस्त को रक्षा बंधन त्यौहार के साथ श्रावण पूर्णिमा पर समाप्त हो जाएगी।