नई दिल्ली। लोकसभा में गुरुवार को एक विधेयक पेश किया गया, जिसमें दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) में संशोधन करने की मांग की गई है, ताकि इस विधेयक की कमियों को दूर किया जा सके और जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले बकाएदार खुद की परिसंपत्तियों की बोली नहीं लगा सकें।
दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2017 वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया। इसमें पहले पारित अध्यादेश को बदलने की मांग की गई है।
आईबीसी का क्रियान्वयन कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है, जिसे 2016 के दिसंबर से लागू किया गया है, जो समयबद्ध दिवालिया समाधान प्रक्रिया प्रदान करता है।
प्रस्तावित परिवर्तनों से तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए खरीदारों का चयन करने की प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद मिलेगी।
उदाहरण के लिए, वर्तमान संहिता में यह निर्धारित नहीं किया गया है कि दिवालियापन प्रक्रिया के तहत तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए कौन बोली लगा सकता है।