स्कूली बच्चों को कचरा प्रबंधन एवं रिसाइक्लिंग के प्रति जागरूक बनाया जाएगा यह कार्यक्रम SMS मिशन 1000 की सफलता को अगले चरण में ले जाते हुए 5000 से अधिक स्कूलों के 11 लाख बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव निर्माण करने की संभावना बढ़ाएगा। कोका-कोला इंडिया ने अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन (AIF) के साथ मिलकर आज SMS मिशन रिसाइक्लिंग शुरु करने की घोषणा की। इसका उद्देश्य 5000 से अधिक स्कूलों के बच्चों को कचरा प्रबंधन के लिए जागरूक बनाना है।
सपोर्ट माइ स्कूल (SMS) मिशन 1000 स्कूल्स की सफलता के बाद अब यह नया मिशन शुरु किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य भारत सरकार के स्वच्छता मिशन में योगदान देना है। इसके जरिये सही ढंग से कचरा जमा करने एवं कचरे के अलगाव पर ध्यान देना है जिसमें पॉलीथीन टेरिफ्थेलैट (PET) भी शामिल होगा।
SMS मिशन रिसाइक्लिंग पहल का उद्देश्य रिसाइक्लिंग के लिए प्रभावी ढंग से कचरा जमा करने तथा उसे अलग करने की प्रक्रियाएं अपनाते हुए बेहतर कचरा प्रबंधन पद्धतियों को बढ़ावा देना है। सरकार के स्वच्छ भारत, स्वच्छ विद्यालय मिशन से जुड़ा यह कार्यक्रम समाज में तथा स्कूलों में कचरा प्रबंधन प्रणाली स्थापित करने या इसके लिए मदद करने के लिए काम करेगा।
कार्यक्रम में पहले चरण में, कोका-कोला इंडिया ने अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन (AIF) के साथ भागीदारी करते हुए देशभर में 5000 से अधिक सरकारी स्कूलों के लगभग 11 लाख बच्चों तथा 1 लाख से अधिक नागरिकों के बीच सकारात्मक प्रभाव निर्माण करने का लक्ष्य रखा है। इसके अंतर्गत उन्हें सही ढंग से ठोस कचरा प्रबंधन करने के लंबी अवधि के फायदों के बारे में बताया जाएगा।
निशांत पांडे, सीईओ, अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन ने कहा, “पूरे भारत के स्कूलों में सफाई एवं स्वच्छता मुद्दों पर जागरूकता निर्माण करने के हमारे अनुभव के आधार पर, हमारा मानना है कि स्कूली छात्रों को कचरा प्रबंधन तथा रिसाइक्लिंग पद्धतियों के साथ जोड़ने से उन्हें हमारे भविष्य में स्थाई प्रक्रियाओं की विशाल भूमिका के बारे में गहरी समझ प्रदान की जा सकती है। सपोर्ट माइ स्कूल – मिशन रिसाइक्लिंग अभियान के लिए कोका-कोला के साथ भागीदारी करते हुए हम उत्साहित हैं, जिसका उद्देश्य 10 राज्यों के 5000 स्कूलों तक पहुंचना है। इस अभियायन के जरिये बच्चों को एक स्वच्छ तथा स्थाई भविष्य निर्माण करने का अवसर दिया जाएगा।”
टी. कृष्णकुमार, प्रेसिडेंट, कोका-कोला इंडिया एवं साउथ वेस्ट एशिया ने कहा, “हम यह मानते हैं कि हमारे सभी कार्यों में स्थायी विकास पर प्रमुख ध्यान होना चाहिए और हमें अपने भागीदारों के साथ मिलकर एक स्थायी भविष्य के लिए समाधान ढूंढने एवं विकसित करने के लिए काम करना ज़रूरी है। अब हम अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन के साथ भागीदारी में SMS मिशन रिसाइक्लिंग लॉन्च करते हुए उत्साहित हैं। इस पहल का उद्देश्य स्कूली बच्चों और समाज में कचरा अलग करने तथा रिसाइक्लिंग करने के सही तरीकों के बारे में जागरूकता निर्माण करना है। बच्चे एक बेहतर भविष्य के लिए परिवर्तन के प्रतिनिधि हैं और उनके पास अपने समुदाय को जागरूक बनाने की क्षमता है। साथ ही, हमारे देश का भविष्य होने के नाते वे इन पर्यावरणीय लक्ष्यों के साथ जुड़े रहकर बड़े हो सकेंगे।”
सपोर्ट माइ स्कूल के प्रथम संस्करण ने देशभर के 1000 से अधिक स्कूलों में 3.5 लाख स्कूली बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव निर्माण किया था। इस सफर के दौरान, हजारों शौचालय, मूत्रालय और वॉश स्टेशनों का नवीनीकरण किया गया और पिछड़े स्कूलों में सैकड़ों खेल मैदान बनाए गए। सपोर्ट माइ स्कूल ने वॉश (जल, स्वच्छता एवं सफाई) की ज़रूरतों को पूरा किया तथा सरकार के ‘स्वच्छ भारत’ अभियान में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए स्कूलों को पुनर्जीवित किया है। यही स्कूल अब विभिन्न जिलों में मॉडल स्कूल की भूमिका निभा रहे हैं।
एमएसएस मिशन 1000 के प्रथम क्रियान्वयन सहयोगी चैरिटीज़ एड फाउंडेशन (CAF) के चीफ ऑपरेशनल ऑफिसर अविजीत कुमार ने कहा, “सपोर्ट माइ स्कूल एक आधुनिक अभियान है, जिसका लक्ष्य देश के हज़ारों बच्चों के जीवन में विकासात्मक बदलाव लाना है। हम इस अभियान से जुड़ने पर बेहद गौरवशाली महसूस करते हैं। बच्चों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग के बारे में शिक्षित करने से लेकर उचित स्वच्छता सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराते हुए, इस अभियान ने स्कूलों में एक सकारात्मक माहौल बनाने में मदद की है। इस तरह के प्रयास हमारे देश में विस्तृत सामाजिक-आर्थिक फासलों को घटाने तथा शिक्षा की असमानता दूर करने के लिए आवश्यक हैं। देश के 1000 स्कूलों में इस अभियान का प्रभाव देखना बेहद संतोषजनक रहा है।”
भूषण तुलाधर, रीजनल टेक्निकल एडवाइज़र, साउथ एशिया – यूएन-हैबिटेट ने कहा, “सपोर्ट माइ स्कूल (SMS) अभियान के सभी भागीदारों को “SMS मिशन 1000” की सफलता के लिए हम बधाई देते हैं। यह काफी सराहनीय है कि इस अभियान ने क्षेत्र के 1100 स्कूलों में 400,000 से अधिक छात्रों तक पहुंचने में सफलता पाई है। हम इस पहल के अगले चरण – SMS मिशन रिसाइक्लिंग को अपना समर्थन जारी रखने की उम्मीद करते हैं। कोला-कोला इंडिया लगातार स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम कर रही है और यह कंपनी स्थायित्व पर भरपूर ध्यान देती है।
भारत में कोका-कोला सिस्टम के बारे में
भारत में कोका-कोला सिस्टम के अधीन एक कॉन्संट्रेट सप्लाई कंपनी कोका-कोला इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ ही हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड तथा द कोका-कोला कंपनी के पंद्रह (15) फ्रेंचाइजी बॉटलिंग पार्टनर आते हैं। कोका-कोला सिस्टम उपभोक्ताओं को स्वस्थ, सुरक्षित, उच्च गुणवत्ता वाले ताज़गी भरे बेवरेज विकल्प पेश करता है।
1993 में कोका-कोला कंपनी, अटलांटा द्वारा भारत में अपना संचालन दोबारा शुरु किये जाने के बाद से यह सिस्टम उपभोक्ताओं को अपने बेवरेज प्रोडक्ट्स – जैसे कोका-कोला, कोका-कोला ज़ीरो, डाइट कोक, थम्स अप, थम्स अप चार्ज्ड, फैंटा, फैंटा ग्रीन मैंगो, लिम्का, स्प्राइट, स्प्राइट ज़ीरो, माज़ा, वियो फ्लेवर्ड मिल्क, मिनट मेड रेंज ऑफ जूसेज़, फ्यूज टी, हॉट एंड कोल्ड टी विकल्पों वाली जॉर्जिया और जॉर्जिया गोल्ड रेंज, एक्वेरियस, श्वैप्स, किनले और बोनाक्वा पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर तथा किनले क्लब सोडा के जरिये खुशियां प्रदान कर रही है।
द कोका-कोला सिस्टम 26 लाख रीटेल दुकानों के अपने मजबूत नेटवर्क के जरिये, 500 सर्विंग से अधिक प्रति सेकेंड की दर से लाखों उपभोक्ताओं की जिंदगियों को छूती है। इसके ब्रांड्स देश में सर्वाधिक पसंदीदा और बिकने वाले पेयों में शामिल हैं, जिनमें थम्स अप और स्प्राइट दो सबसे ज्यादा बिकने वाले स्पार्कलिंग पेय हैं।
कोका-कोला इंडिया का सिस्टम पहले से 25000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और 150,000 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता आ रहा है। कोका-कोला सिस्टम भारत में अपने छोटे से प्रयास के जरिये स्थायी समाज के निर्माण हेतु सामाजिक विकास कार्यक्रमों जैसे सपोर्ट माइ स्कूल, वीर, परिवर्तन और उन्नति तथा अपने खुद के पर्यावरणीय पदचिन्ह घटाने में योगदान दे रहा है।
अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन (AIF) के बारे में
अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन भारत में सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव उत्प्रेरित करने और शिक्षा, आजीविका, सार्वजनिक स्वास्थ और नेतृत्व विकास के क्षेत्रों में अत्यधिक प्रभावशाली प्रयासों के जरिये यूनाइटेड स्टेट्स और भारत के बीच दीर्घकालिक संबंध कायम करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम करते हुए, एआईएफ गैर-सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी में नए समाधानों की जांच एवं निर्माण करता है और सरकारों के साथ मिलकर दीर्घकालिक प्रभाव निर्माण कर उसे आगे ले जाने का काम करता है। प्रधानमंत्री वाजपेयी की सलाह पर और प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन की पहल से वर्ष 2001 में स्थापित एआईएफ भारत की 37 लाख गरीब जनसंख्या के जीवन को प्रभावित कर चुका है।