देहरादून। उत्तराखंड में जारी सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के बीच सियासी संग्राम में आरोप प्रत्यारोप के साथ ही जुबानी जंग तेज हो गई है।
एक तरफ जहां मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी सरकार के पर किसी खतरे से इंकार करने के साथ पूर्ण बहुमत होने का दावा किया है तो वहीं दूसरी तरफ अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि 35 विधायकों ने विनियोग विधयेक के खिलाफ मतदान किया है। इसलिए हरीश रावत सरकार अल्पमत में आ गई है।
उन्होंने कहा कि 35 विधायकों ने सदन में विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि उन्होंने सरकार के खिलाफ मतदान किया है। लेकिन विस अध्यक्ष ने उनकी बात नहीं मानी। जिस कारण वे और बाकी के विधायक राज्यपाल से मिले और पूरी घटना से अवगत करवाया। कहा कि सदन में विधानसभा अध्यक्ष ने राष्ट्रगान तक नहीं करवाया है।
हरक सिंह ने कहा कि हरीश रावत सरकार भष्ट्राचार में डूबी हुई है। मुख्मंत्री से कोई मिल नहीं सकता है। चैबीसों घंटे उनके चमचे उन्हे घेरे रहते हैं। इस कारण इस सरकार के खिलाफ मतदान किया गया है।
आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रावत सब विधायकों को खरीद सकते हैं। कहा कि उन्हे भी पीडब्ल्यूडी, आपदा, जलागम आदि विभागों को देने का लालच दिया गया था। लेकिन वो लालच में नहीं फंसे। क्योंकि वे राज्य की जनता के साथ खड़े होना चाहते हैं।
उधर राज्यपाल केके पाल द्वारा हरीश सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 9 दिन का समय देने को भाजपा ने खरीदफरोख्त को बढ़ावा देने वाला कदम बताया है। पूर्व मुख्यमंत्री व भजपा सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि जब एक दिन पहले ही 70 में से 35 विधायक लिखित में राज्यपाल को सरकार बर्खास्त करने की मांग वाला पत्र सौंप चुके है तो फिर राज्यपाल ने इतना लंबा समय क्यों दिया यह समझ से परे है।
उधर अपने खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद होने से बौखलाए मुख्यमंत्री हरक सिंह रावत ने आज यहां आपाक कैबिनेट बैठक में राज्य के महाधिवक्ता उमाकांत उनियाल को हटा दिया है और बागवती विधायको की अगुवाई कर रहे कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को मंत्रीमंडल से हटाने का राज्यपाल से अनुरोध करते हुए पत्र लिखा है।
बताते चले कि उमाकांत उनियाल नरेन्द्र नगर से कांग्रेस विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के करीबी सुबोध उनियाल के सगे भाई है और उनकी नियुक्ति विजय बहुगुणा अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में कर गए थे।
मुख्यमंत्री की इस कार्रवाई को बागी हरक सिंह रावत ने बदले की राजनीति बताया है। उन्होंने मुख्यमंत्री के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि मैंने कई बार मुख्यमंत्री को कहा कि उनके कृत्यों से जनता में गहरी नाराजगी है।
प्रदेश में भू और खनन मांफिया बेलगाम होते जा रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री ने कभी हमारी बातों को गंभीरता से नहीं लिया और अपने आसपास खराब छवि के लोगों की भीड़ जुटाए रखी जिसके चलते हमें बगावत का झंडा उठाना पड़ा।