इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश के अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी अब सूबे की मौजूदा अखिलेश यादव सरकार के खिलाफ हमलावर मुद्रा में नजर आ रही है।
पार्टी ने कैराना और मथुरा की घटनाओं को लेकर अपने मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कैराना से हिंदुओं के कथित पलायन का मुद्दा उठाकर सपा सरकार पर निशाना साधा है।
इलाहाबाद में शुरू हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के पहले दिन अपने अध्यक्षीय भाषण में अमित शाह ने अगले साल होने वाले यूपी समेत कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों का जिक्र किया और इसे चुनौतियों का साल बताया लेकिन उनके असली निशाने पर उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ज्यादा रही।
कैराना से हिन्दुओं के पलायन के मुद्दे पर उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों का ध्यानाकर्षण करते हुए इसका ठीकरा उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव के सिर फोड़ा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार स्थिति को नियंत्रित नहीं कर पा रही है।
जाहिर है कि पार्टी द्वारा एक तरफ जहां अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे को आस्था का मुद्दा कहकर हल्का करने की कोशिश की गई वही कैराना के मुद्दे पर अपने मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश भी की गई। क्योंकि राम मंदिर के मुद्दे पर पिछले ढाई दशक में बहुत राजनीति हो चुकी है।
लिहाज़ा अब कैराना से पलायन के मुद्दे को धार दी जाएगी। आने वाले दिनों में भाजपा अखिलेश सरकार द्वारा हिन्दुओं को सुरक्षा देने में कोताही को मुद्दा बनाएंगी जिसके कारण पलायन की नौबत आई है।
इसके अलावा भाजपा मथुरा के जवाहर बाग़ के मुद्दे को भी भुनाएगी। इसके बहाने वह सूबे में सरकार में बैठे लोगो और भू माफिया के बीच की साठगांठ को उजागर करेगी और उत्तर प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा करेगी।
मथुरा में बैठे अफसरों को लखनऊ से समय रहते कार्रवाई के आदेश क्यों नहीं दिए गए? इसके पीछे कौन ताकतें काम कर रही थीं? इन सब सवालों से आने वाले दिनों में पर्दा तब हटेगा जब भाजपा इस मुद्दे को गली और चौराहे तक विचार विमर्श में ले जाएगी। क्योंकि रविवार को अमित शाह ने कार्यकारिणी की बैठक में प्रदेश सरकार और भू माफिया की साठगांठ को इस घटना के लिए जिम्मेदार बताया था।
इसके अलावा भाजपा जिस तरीके से डॉ. भीम राव अम्बेडकर को देश-विदेश में महिमा मण्डित करने में लगी है, उससे साफ़ है कि उसकी नजर अब दलित वोटो में सेंधमारी करने की है। पिछड़ों के वोटों को भाजपा की ओर आकर्षित करने के लिए केशव प्रसाद मौर्य को पहले ही पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा चुका है।
कांग्रेस की बदतर होती स्थिति के लिए उसे भाजपा के विकासपरक कार्यों में रोड़ा अटकाने वाली कहकर नाकारा साबित करने की कोशिश होगी। ताकि वह और बदतर हालत में पहुंच जाए क्योंकि `कांग्रेस मुक्त भारत` अभियान तो भाजपा के प्रमुख एजेंडे में है।