ग्वालियर। सुर सम्राट तानसेन की वारगाह (पूजा स्थल) पर रविवार रात को सरोद के सरताज पद्म विभूषण उस्ताद अमजद अली खां के सरोद से स्वर लहरियां गूंजीं।
उस्ताद अमजद अली खां ने सरोद वादन से सभी दर्शकों का मन मोह लिया। तानसेन समारोह में रविवार की शाम सभा में उस्ताद अमजद अली खां ने खुद के द्वारा बनाए गए राग गणेश कल्याण से अपने वादन की शुरुआत गणेश वंदना से की।
कहरवा के भजनी ठेके में निबद्ध धुन ने रसिकों के कानों में मिसुरी घोल दी। उन्हें सुनने वालों की भीड़ ऐसी उमड़ी कि तानसेन समारोह का विशाल पण्डाल छोटा पड़ गया।
उस्ताद अमजद अली खां ने राग मियां की मल्हार, काफी, दरबारी कान्हड़ा और चारूकेसी में गतें व बंदिशें बजाईं।
उस्ताद ने अपने वादन का समापन गुरूवर रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित बंगाल के प्रसिद्ध लोकगीत एकला चलो रे…. की धुन निकालकर की। इसके साथ ही अन्य कलाकारों की प्रस्तुति ने लोगों को बांधे रखा।