भोपाल। आगामी 27 जनवरी को स्नान, दान और पुण्य की मौनी अमावस्या अमृत योग लेकर आ रही है। खास संयोग में आने से इसका महत्व और बढ़ गया है।
मौनी अमावस्या पूर्ण अमृत योग में वरदान लेकर आ रही है। इसके चलते नदी में स्नान और दान, पुण्य करने से भक्तों के लिए यह कई गुना फलदाई साबित होगी। इस दिन मौन रहकर गंगा या किसी नदी का स्नान किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य लखन शास्त्री ने बताया कि मकर राशि में मौनी अमावस्या का आगमन जब भी होता है तो सूर्य और चंद्रमा गोचरवश एक साथ होते हैं। शुक्रवार को उत्तर आषाढ़ नक्षत्र में मौनी अमावस्या का संयोग अमृत योग है।
मान्यता के अनुसार संपूर्ण शक्ति से भरपूर दिन में मनु ऋषि के जन्म से अमावस्या का महत्व और बढ़ जाता है। मौनी अमावस्या के दिन दान, पुण्य, पूजन और स्नानादि से शीघ्र फल मिलेगा। स्नान का शुभ समय ब्रह्ममुहूर्त में सूर्योदय से पहले है।
वैसे सुबह 11 बजे तक स्नान का सर्वोत्तम समय है। सुबह उठकर मौन अवस्था में गंगा माता और भगवान शिव का ध्यान कर स्नान किया जा सकता है। माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन ही कलियुग का आगमन हुआ था।
सुबह का समय ही कलियुग का प्रवेश हुआ था। कलियुग के प्रभाव से बचने के लिए मौन रहकर स्नान करें। इस दिन मौन रहकर गंगा या किसी नदी में स्नान करने वाले को लाभ मिलता है।
जिन जातकों का बुध ग्रह पीडि़त या अशुभ फल दे रहा है, वह लोग मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रहकर तुलसी के पौधे का पूजन करें तथा सुबह तुलसी पत्तियों का सेवन करें।
किन्नरों को हरी चूड़ियां व हरे रंग की साड़ी का दान करने से बुध ग्रह शुभ फल देने लगता है। जिन लोगों का चंद्र ग्रह अशुभ फल दे रहा है, वह लोग मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखें।