अजमेर। अजमेर जिले की आनासागर, गुंदोलाव तथा कनक सागर झीलों के संरक्षण एवं विकास को लेकर प्रशासन ने कार्ययोजना पर अमल शुरू कर दिया है।
बुधवार को कलक्टर गौरव गोयल की अध्यक्षता में जिला स्तरीय झील संरक्षण एवं विकास समिति की बैठक में तय किया गया कि अनासागर झील को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा तथा तय मानकों के अनुसार बोटिंग, एडवेंचर वाटर गेम, बर्ड सेंच्यूरी आदि गतिविधियां संचालित की जा सकेंगी।
गोयल ने कहा कि आनासागर झील का विशेष महत्व है। अजमेर शहर की शान ऎतिहासिक आनासागर झील के संरक्षण और विकास सहित सौंदर्यीकरण के लिए राज्य सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। अब झील में मलबा डालने, अतिक्रमण करने, पानी को दूषित कर झील को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां पूर्णतः प्रतिबंधित रहेंगी। ऎसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
आनासागर झील के संरक्षण और विकास के लिए राजस्थान झील संरक्षण एवं विकास प्राधिकरण ने विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों की पालना सुनिश्चित कर झील को और अधिक सुन्दर व पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। इस संबंध में सभी संबंधित विभागों को निर्देशित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राजस्व ग्राम थोक तैलियान एवं कोटड़ा में फैली झील एवं इसके संरक्षित क्षेत्र में झील संरक्षण कार्यों को छोड़कर किसी तरह का निर्माण हटाना, खुदाई, अतिक्रमण, झील में मिट्टी की ग्रेडिंग या डिग्रेडिंग, यहां खनिज उत्खनन से संबंधित किसी भी तरह की कार्यवाही पर प्रतिबंध रहेगा। यहां मलबा डालना, अन्य किसी तरह की तरल या धातु डालना भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।
इसी तरह झील के बहाव क्षेत्र, पानी के आवक के रास्तों, पानी बाहर जाने के मार्ग, स्टोरेज एरिया एवं सुरक्षा के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़़ नहीं की जा सकेगी। झील में प्लांटिंग और हार्वेस्टिंग, जानबूझकर कर वस्तुओं को जलाना, पानी के तापमान में बदलाव के लिए शारीरिक, केमिकल या बॉयोलोजिकल छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी। प्राधिकरण ने सीवरेज को भी झील में बहाने पर रोक लगा दी है।
उन्होंने कहा कि झील को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए भराव क्षेत्र तथा बाहर विविध गतिविधियां संचालित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि झील में प्राधिकरण की अनुमति से पर्यटन के लिए बोटिंग, एडवेंचर वाटर गेम, फिशिंग, बर्ड सेंच्यूरी, बर्ड वाचिंग, हाईकिंग, बोटिंग, झील के किनारे घुडसवारी, स्वीमिंग, केनोइंग एवं साईकलिंग आदि हो सकेंगे।
झील के किनारे ईको टयूरिज्म का विकास, मिट्टी की गुणवत्ता की जांच, वेट लेंड, परकोलेशन, वेजीटेशन, फ्लोरा एण्ड फोना से संबंधित कार्यवाही भी की जाएगी। झील के पानी का पेयजल, सिंचाई एवं अन्य कार्यों में उपयोग हो सकेगा। झील के किनारे सैर के लिए भी चौपाटी का निर्माण करवाया जा रहा है।
झील सीमा के लिए लगेंगे मुटाम
उन्होंने कहा कि झील की चारदीवारी चिन्हीकरण के साथ झील की सुरक्षा, मरम्मत एवं सरंक्षण के कार्य करवाए जा सकेंगे। झील की सीमा के चिन्हीकरण के लिए थोड़ी-थोड़ी दूरी पर नीले रंग के स्थायी मुटाम लगाए जाएंगे। इससे झील के क्षेत्रफल की जानकारी आसानी से हो सकेगी। रीजनल कॉलेज से महावीर कॉलोनी तक लगभग 1.8 किलोमीटर की दूरी तक पाथवे शीघ्र ही निर्मित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि झील संरक्षण के लिए विभिन्न प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजे जांएगे। इसके अन्तर्गत बेटी गौरान उद्यान, अजमेर विकास प्राधिकरण के माध्यम से तथा सीमा पर बण्ड और एक्योरियम का निर्माण स्मार्ट सिटी के माध्यम से करवाया जाना प्रस्तावित है।
बनेगा लघु पक्षी विहार
उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के माध्यम से सागर विहार कॉलोनी के पास भरतपुर के घना पक्षी अभ्यारण्य की तर्ज पर लघु पक्षी विहार स्मार्ट सिटी के माध्यम से बनाना प्रस्तावित है। इसके अन्तर्गत कच्चा ट्रेक बनाया जाएगा। इसके दोनो और वेटलैण्ड होगी। इसमें विभिन्न प्रजातियों के छोटे एवं बड़े पक्षी हितैषी पौधे लगाए जाएंगे।
इनका सघन वृक्षारोपण पक्षियों को आकर्षित करेगा। उनके भोजन के लिए वैटलैण्ड में पर्याप्त मात्रा में सामग्री प्राप्त होगी। छोटे झाड़ीनुमा पौधों से उन्हें भोजन तथा बड़े पेड़ों से सुरक्षा एवं आवास उपलब्ध होगा। पक्षियों के बैठने के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध होने से उनकी संख्या में वृद्धि होगी। इससे अजमेर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।