जयपुर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के रविवार को रोटरी क्लब सभागार में आयोजित वार्षिकोत्सव वरिष्ठ प्रचारक तथा संस्कार भारती के राष्ट्रीय संरक्षक 93 वर्षीय योगेंद्र को सम्मानित किया।
कला व साहित्य के क्षेत्र में उनके अनुपम योगदान को देखते हुए जयपुर की अन्य कई संस्थाओं ने भी उन्हें पुष्प माला वह शॉल ओढाकर सम्मानित किया।
इनको मिला सम्मान और पुरस्कार
इसके साथ ही साहित्य के क्षेत्र में अपने अनूठे योगदान के लिए चार साहित्यकारों को सम्मानित व पुरस्कृत किया गया। हवा को बहने दो कहानी संग्रह के लिए आगरा की डॉ. कामना सिंह, निबंध संग्रह ’अल हराम टूट्या भ्रम मोरा’ के लिए डॉ. उदय प्रताप सिंह सारनाथ, नाट्य कृति ’मेरे श्रेष्ठ नाटक’ के लिए नागपुर की डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव तथा उपन्यास ’साधना’ के लिए लखनऊ की डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे को 11-11 हजार के नकद पुरस्कार वह प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। इस अवसर पर साहित्यिक पत्रिका ‘हमारा दृष्टिकोण‘ का भी विमोचन किया गया।
इन्होंने व्यक्त किए विचार
इस अवसर पर आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास ने शिवाजी महाराज के जीवन का बड़ा ही जीवंत वर्णन किया तथा शिवाजी का जीवन दर्शन अपनाने की अपील की।
हिंदी ग्रंथ अकादमी आगरा के निदेशक डॉ. एन.के. पांडे ने साहित्य को रचनात्मक व सकारात्मक दृष्टि देने पर बल दिया।
साहित्यकार डॉ.नरेंद्र कुसुम ने कहा साहित्य समाज में उच्चादर्शों को स्थापित करने वाला होना चाहिए। डॉ. योगेंद्र ने अपने जीवन के अनुभव साझा करते हुए कहा आज युवाओं को और अधिक जोड़ने की आवश्यकता है तथा युवा साहित्यकारों को इसके लिए आगे बढ़कर प्रयत्न करना चाहिए।
इस अवसर पर परम पूजनीय गुरुजी, शिवाजी महाराज तथा गोपाल कृष्ण गोखले को भी याद किया गया।
साहित्य परिषद के क्षेत्र संगठन मंत्री विपिन चंद्र ने विषय प्रवर्तन करते हुए कार्यक्रम की प्रास्ताविक भूमिका रखी तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ. मथुरेश नंदन कुलश्रेष्ठ ने किया।
इस अवसर पर कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आर.पी. दशोरा समेत बड़ी संख्या में साहित्यकार, साहित्य प्रेमी सहित नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। डॉ. इंद्र कुमार भंसाली ने कार्यक्रम में पधारे हुए सभी महानुभावों का आभार जताया।