कोहिमा। पूर्वोत्तर के राज्य नगालैंड में भाजपा की सरकार बनने के आसार नजर आ रहे हैं। सूत्रों ने दावा किया है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले दो से तीन दिनों के अंदर राज्य की सत्ता पर भाजपा के काबिज होने का रास्ता साफ हो जाएगा।
संभवतः सत्ता की कमान पूर्व मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के हाथों में जा सकती है। इसको लेकर राज्य की राजधानी और नई दिल्ली में लगातार नेताओं के बीच चर्चाओं का दौर जारी है। शनिवार की शाम तक काफी कुछ स्थिति के साफ होने की संभवना जताई जा रही है।
राज्य में सत्ता परिवर्तन की पटकथा निकाय चुनावों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के मुद्दे से शुरू हुई थी। शांतिपूर्ण आंदोलन ने बाद में हिंसा का रूप धारण कर लिया। मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने आंदोलन को रोकने की पूरी कोशिश की लेकिन आंदोलनकारी सरकार के इस्तीफे की मांग पर अड़ गए।
साथ ही आंदोलनकारियों ने विधायकों को भी चेतावनी दी कि अगर वे सरकार से नहीं हटते हैं तो आने वाले दिनों में उनको इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कुल मिलाकर आंदोलनकारियों की धमकी का असर विधायकों पर साफ तौर पर दिखाई देने लगा है।
सत्ताधारी पार्टी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के 48 में से 40 विधायकों ने 16 फरवरी की शाम को एक संवाददाता सम्मेलन कर पार्टी अध्यक्ष सुरहोजेले के नेतृत्व में नई सरकार के गठन का ऐलान कर दिया। हालांकि पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी में कोई फूट नहीं है। जेलियांग के नेतृत्व में सरकार काम करती रहेगी।
ज्ञात हो कि एनपीएफ के अध्यक्ष सुरहोजेले और पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद नेफ्यू रियो अंगामी समुदाय से आते हैं। इसके चलते दोनों के बीच सियासी खींचतान काफी पुरानी है। लगभग छह माह पहले नेफ्यू रियो को सुरहोजेले ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
हालांकि कभी नेफ्यू रियो और सुरहोजेले के बीच काफी घनिष्ठता थी, लेकिन वर्तमान समय में दोनों के बीच काफी तल्खी है। पार्टी से अलग होने के बावजूद नेफ्यू रियो का पार्टी में काफी दखल माना जाता है।
वहीं मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग को भी रियो का करीबी बताया जाता है, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद संभवतः जेलियांग और रियो के बीच सियासी दूरियां बढ़ गई थीं। वर्तमान में राज्य के बदले ताजा हालात के मद्देनजर जेलियांग को फिर से रियो की शरण में जाना पड़ा है। माना जा रहा है कि दोनों के बीच आपसी समझौता हो गया है।
समझौते के अनुसार जेलियांग जहां सांसद बनकर दिल्ली जाएंगे जबकि राज्य की सत्ता रियो के हाथ में होगी। ऐसे में एनपीएफ के सुरहोजेले किसी भी कीमत पर पार्टी पर से अपनी पकड़ को छोड़ने के लिए तैयार नजर नहीं आ रहे हैं। साथ ही वे रियो को मुख्यमंत्री बनता नहीं देखना चाहते।
ऐसे में रियो जो पहले से ही पार्टी से बाहर चल रहे हैं, वे बागी विधायकों के साथ मिलकर भाजपा में शामिल होकर राज्य की सत्ता पर काबिज होने की तैयारी कर चुके हैं। सूत्रों ने दावा किया है कि 17 फरवरी की रात को नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव और अन्य भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ रियो की कई दौर की वार्ता हो चुकी है।
सब कुछ सही चलता रहा तो अगले दो-तीन दिनों में राज्य की राजनीति में भारी परिवर्तन होने के असर नजर आ रहे हैं। इस राजनीतिक घटनाक्रम को पूर्वोत्तर से कांग्रेस के सफाए के तौर पर भी देखा जा रहा है।
नगालैंड की कहानी भी पूरी तरह से अरुणाचल प्रदेश की कहानी का प्रतिबिंब नजर आ रही है। राज्य के मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग गत 15 फरवरी को ही पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर चुके हैं।