जयपुर। एक साधे सब सधे अर्थात वृक्षारोपण से प्रकृति जनित सभी आपदाओं से बचा जा सकता है। ये विचार अपना संस्थान के राजस्थान क्षेत्र के अध्यक्ष ललित शर्मा ने व्यक्त किए।
वे ललित अग्रवाल कॉलेज सभागार में अपना संस्थान (अमृत देवी पर्यावरण नागरिक संस्थान) द्वारा आयोजित वृक्षारोपण महाभियान शुभारम्भ एवं पर्यावरण सरंक्षण संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
पर्यावरण प्रेमियों से खचाखच भरे सभागार में उन्होंने कहा कि प्रकृति मां के समान है। प्रकृति की गोद में बैठकर ही हम अपनी जीवन यात्रा शुरू करते है इसलिए हमारी संस्कृति में प्रकृति को मां का दर्ज दिया है।
मनुष्य भगवान की सर्वोत्तम कृति है साथ ही ये भी पढ़ाया जाता है की मनुष्य social animal है पर हम अपना विवेक खोकर केवल animal रह गए हैं। हमारी संस्कृति का आदर्श ईशावास्य तेन त्यक्तेन भुंजीथा यानी सब ईश्वर का है। इसका बचत करते हुए उपभोग करना चाहिए। इसके बावजूद आज अपने देश में हरियाली कम होती जा रही है।
शरीर 5 तत्वों का बना है यदि तत्वों में प्रदूषण होगा तो शरीर भी प्रदूषित होगा। हमारी संस्कृति में सनातन काल से पर्यावरण का महत्व समझा गया है। कोई नियम नहीं थे। लोग संयम रखते थे एवं एक दूसरे को सहयोग कर पर्यावरण सरंक्षण करते थे।
आज हम अपने स्वार्थों के कारण संस्कृति से विचलित हो रहे हैं। प्रकृति केवल कानून बनाने से नहीं बचेगी बल्कि अपने अंदर बदलाव से बचेगी। अंधाधुंध उपभोग प्रदूषण का मुख्य कारण है। इससे ओजोन की परत लगातार क्षीण होती जा रही है। वृक्षारोपण से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
वृक्षारोपण से आॅक्सीजन बढ़ेगी co2 कम होगी, बारिश होगी, तापमान कम होगा अर्थात वृक्षारोपण वह कार्य जिससे सबकुछ ठीक हो सकता है। वृक्ष लगाएं और उसका पालन कर इस परिवर्तन की शुरुआत खुद से करें।
इस मौके पर चिकित्सा मंत्री राजेंद्र सिंह ने कहा कि वृक्ष रिकॉर्ड बनाने के लिए न लगाएं बल्कि उनके पालन की जिम्मेदारी भी लें।
विशिष्ठ अतिथि के रूप में जिला कलेक्टर सिद्दार्थ महाजन ने अपना संस्था की वृक्षारोपण के बाद follow up की योजना की सराहना की। अध्यक्ष के रूप में अशोक परनामी ने अमृता देवी के बलिदान यादकर वृक्षारोपण को अपनाने को कहा।