नई दिल्ली। रविवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी व्यवस्था में करदाता इकाइयों पर नियंत्रण के अधिकार के मुद्दे पर केंद्र व राज्यों के बीच कोई चर्चा नहीं हो सकी। इस वजह से दो दिन की यह बैठक रविवार को एक दिन में ही खत्म कर दी गई।
अब इस नई कर प्रणाली के अगले साल एक अप्रैल से लागू किए जाने की संभावना एक तरह से मुश्किल दिख रही है। जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक अब 22-23 दिसंबर को होगी। वहीं केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि नोटबंदी से राज्यों का भरोसा डगमगाया है।
रविवार की बैठक में क्या हुआ:
रविवार को हुई काउंसिल की बैठक में प्रपोज्डम जीएसटी ड्रॉफ्ट के क्लॉज पर चर्चा हो पाई। लेकिन डुअल कंट्रोल (दोहरे नियंत्रण) के मुद्दे पर बात ही नहीं हो पाई। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीटिंग के बाद जीएसटी 1 अप्रैल 2017 से लागू करन के लक्ष्य के बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा। वहीं केरल एवं तमिलनाडु जैसे राज्यों के प्रतिनिधियों ने कहा कि अब यह समयसीमा मुमकिन नहीं लग रही है। अब जीएसटी को सितंबर 2017 से लागू किए जाने की संभावना है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ड्राफ्ट बिल में लगभग 195 सेक्शन हैं, इसलिए यह पूरे कानून का कोर बिल है। उन्होंने कहा कि हमने 99 सेक्शन पर चर्चा की और अभी कुछ क्लॉज को फिर से ड्रॉफ्ट करने की जरूरत है। आने वाले दिनों में इसमें संशोधन कर लेंगे। उम्मीद है कि अगली बैठक में विधेयक से सम्बधित प्रस्तावों को मंजूरी मिल जाएगी।
नोटबंदी से राज्यों का भरोसा डगमगाया:
वहीं केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि नोटबंदी से राज्यों का भरोसा डगमगाया है। उन्होंने कहा कि पहली अप्रैल की समयसीमा का अब कोई मायने नहीं है। जीएसटी को सितंबर तक ही लागू किया जा सकेगा। तमिलनाडु ने भी 1 अप्रैल 2017 की सीमा को असंभव बताया है। वहीं जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार जीएसटी को एक अप्रैल 2017 से लागू करने के लक्ष्य पर कायम है।