नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की आप सरकार की तुलना की है।
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की संयुक्त जांच दल (जेआईटी) की भारत यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम नवाज शरीफ बीच एक गुप्त समझौते का नतीजा है। केजरीवाल ने कहा कि देश इस गुप्त समझौते के बारे में जानना चाहता है।
केजरीवाल ने पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले की जांच के लिए पाक जेआईटी के मंगलवार को पठानकोट एयरबेस पर जाने का विरोध जाहिर किया है। केजरीवाल ने कहा कि उन्हें खेद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को गले लगा लिया है।
पठानकोट हमले की जांच के लिए पाकिस्तान से टीम बुलाते हैं। क्या देश की जांच एजेंसियां यह जांच नहीं कर सकती थी? अगर जांच कराना ही था तो पहले भारतीय जांच एजेंसियों को पाकिस्तान भेजना चाहिए था।
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिये बिना कहा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह कहना चाहते हैं कि पाकिस्तान भारत में होने वाले आतंकी हमलों में संलिप्त नहीं रहा? क्या वह देश को बेवकूफ बना रहे हैं? क्या प्रधानमंत्री मोदी नोबेल शांति पुरस्कार लेना चाहते हैं इसलिए आईएसआई को भारत बुलाकर जांच करवा रहे हैं?
इतना ही नहीं केजरीवाल ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पहले अरूणाचल की सरकार तोड़ी। अब उत्तराखंड में कांग्रेस को सत्ता से बाहर धकेलने के बाद हिमाचल और फिर दिल्ली की सरकारों की बारी है।
बिना खरीद-फरोख्त के विधायक भाजपा के करीब नहीं गए होंगे। उनके एक आईबी सूत्र के अनुसार केंद्र पहले दिल्ली के 21 विधायकों को संसदीय सचिव के मामले में बर्खास्त करेगी और फिर 23 विधायकों को खरीदेंगे। एक उद्योगपति को इसकी जिम्मेदारी भी दे दी गई है।