नई दिल्ली। कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन पकड़ चुके कद्दावर नेता अरविंदर सिंह लवली का कहना है कि वह कभी भाजपा के धुर विरोधी थे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली ने उन्हें प्रभावित किया, इसी वजह से उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया।
उन्होंने सवाल उठाया कि शीला दीक्षित की तरह कांग्रेस में बोझ बनकर रहने के बजाय ‘गद्दार’ बनकर भाजपा में जाने को अधिक महत्व दिया है, तो इस पर उंगली क्यों उठाई जा रही है?
शीला दीक्षित सरकार में शिक्षा मंत्रालय और परिवहन मंत्रालय जैसे कई अहम पद संभाल चुके लवली (49) को दिल्ली कांग्रेस इकाई की रीढ़ की माना जाता रहा है, लेकिन वह कांग्रेस के लगातर गर्त में जाने के बीच कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए, जिसके कई राजनीतिक मायने निकाले गए।
कांग्रेस से निष्कासित बरखा सिंह भाजपा में शामिल
लवली ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के अपने फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि मुझे तो इसमें किसी तरह की राजनीति नजर नहीं आती। क्या आपने पिछले दो वर्षो में पार्टी में मेरी कोई भूमिका देखी? कांग्रेस जो अब इतनी हायतौबा मचा रही है, वह पहले कहां थी।
उन्होंने कहा कि मैंने जिस कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया था, वह अब बदल गई है, उसकी विचारधारा बदल गई है और यही मेरे पार्टी छोड़ने का कारण है। जिस पार्टी में अपने नेताओं का कोई सम्मान नहीं है तो उससे गरीबों और दलितों का हिमायती होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। मैं बहुत असहाय महसूस कर रहा था। चुनाव समिति में कोई भूमिका नहीं थी। पार्टी के घोषणापत्र पर कोई राय नहीं ली जाती थी तो हम पार्टी में कर क्या रहे थे?
यह पूछने पर कि अजय कामन को लेकर पार्टी में किस तरह के मतभेद थे? उन्होंने कहा कि एक पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष का काम पार्टी को जोड़कर रखना होता है, न कि पार्टी के कैडर को खत्म कर देना। उस पार्टी का भविष्य कैसा होगा, जो अपने नेताओं का ख्याल नहीं रखती। यकीनन, माकन से दिक्कत थी, उन्हीं की वजह से पार्टी की यह स्थिति हुई।
उन्होंने आगे कहा कि मैं अब भाजपा में शामिल हो गया हूं तो मेरी इच्छा है कि माकन ताउम्र दिल्ली इकाई के अध्यक्ष रहें।
यह पूछने पर कि उन्होंने भाजपा में शामिल होने का विचार कब किया, उन्होंने कहा कि सच बताऊं.. मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि मैं भाजपा का सदस्य बनूंगा। यह निश्चित तौर पर मोदीजी का कामकाज ही था, जिसने मुझे प्रभावित किया।
उन्होंने पिछले तीन वर्षो में बेहतरीन काम किया है, जिससे देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी भारत की छवि उज्जवल हुई है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने सुशासन के लिए पार्टी का पूरा नेतृत्व ही बदल दिया और कांग्रेस में क्या है, गांधी परिवार का कब्जा है।”
लवली अपनी ईमानदारी पर उठे सवालों का जवाब देते हुए कहते हैं कि मैंने चुनाव में टिकट की चाह में पार्टी नहीं बदली है। इस समय न तो लोकसभा चुनाव हो रहा है और न ही विधानसभा चुनाव। मुझे दिल्ली नगर निगम चुनाव लड़ना नहीं है, तो अब मुझे क्या फायदा होगा?
पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बयान पर वह कहते हैं कि शीला दीक्षित ने मुझे गद्दार कहा। मैंने उन पर कोई आरोप नहीं लगाया, बल्कि मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मेरे पास दो विकल्प थे, या तो मैं शीला जी की तरह कांग्रेस में बोझ बनकर रहूं या फिर गद्दार बनकर दूसरी पार्टी में चला जाऊं। मैं अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता नहीं कर सकता, तो मैंने गद्दार बनना पसंद किया।
उन्होंने कांग्रेस पार्टी में टिकट बंटवारे पर हुई धांधली के बारे में कहा कि आपको याद होगा कि डॉ. किरण वालिया और मंगतराम सिंघल ने आरोप लगाया था कि पार्टी में टिकट बंटवारे के समय काफी भ्रष्टाचार हुआ है और तब पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष ने एक नामी-गिरामी अखबार में कहा था कि ऐसी चीजें कांग्रेस में होती रही हैं। इससे उनका क्या मतलब था? क्या पार्टी में टिकट बंटवारों में भ्रष्टाचार होता है?
वह भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी में अपनी भागीदारी के बारे में कहते हैं कि मैं एक कार्यकर्ता के रूप में भाजपा में शामिल हुआ हूं और मेरी भूमिका एक आम कार्यकर्ता की ही रहेगी।
उन्होंने अरविंद केजरीवाल के हाउस टैक्स माफ करने के ऐलान पर कहा कि केजरीवाल दिल्ली वालों को धोखा देते आ रहे हैं। फ्री वाई-फाई के वादे का क्या हुआ, किसी को खबर नहीं। वह कोरी घोषणाएं करने में माहिर हैं। दिल्ली में रहेंगे तब तो काम करेंगे। उनका मन दिल्ली से बाहर ज्यादा लगता है।