नई दिल्ली I भारत और बांग्लादेश के बीच 162 भूमि क्षेत्रों की अदला-बदली का समझौता प्रभावी हो गया है। भारत ने इसे ‘ऐतिहासिक दिवस’ बताया है क्योंकि अब जाकर उस जटिल मुद्दे का समाधान हुआ है, जो आजादी के बाद से लंबित पड़ा हुआ था।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम के निधन के कारण घोषित राष्ट्रीय शोक के कारण इस मौके पर किसी आधिकारिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा रहा है, लेकिन ‘भारत बांग्लादेश एंक्लेव एक्सचेंज कोऑर्डिनेशन कमिटी’ नामक संगठन ने कूच बिहार के मासलदांगा एंक्लेव में शुक्रवार रात एक समारोह का आयोजन किया। रात में 12.01 बजते ही उत्साहित लोगों ने भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराना शुरू कर दिया।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक 31 जुलाई भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए ऐतिहासिक दिन होगा। इस दिन को उस जटिल मुद्दे का समाधान हुआ जो आजादी के बाद से लंबित था। भारत ने जहां 51 एन्क्लेव बांग्लादेश को हस्तांतरित किए, वहीं पड़ोसी देश ने करीब 111 एन्क्लेवों को भारत को सौंपा है। 1974 के भूमि सीमा करार को बांग्लादेश और भारत लागू करेंगे और सितंबर, 2011 के प्रोटोकॉल को अगले 11 महीने में चरणबद्ध तरीके से लागू करेंगे।
जानकरी हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे के समय भूमि सीमा समझौते और प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दिया गया था। अब भारत और बांग्लादेश के एंक्लेव में रहने वाले लोगों को संबंधित देश की नागरिकता तथा नागरिक को मिलने वाली सभी सुविधाएं मिल सकेंगी।