चंडीगढ। आशुतोष महाराज का अंतिम संस्कार 15 दिन में करवाने के न्यायालयी फैसले के खिलाफ मंगलवार को दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में दस्तक दी। संस्थान की अपील में कहा गया है कि एकल पीठ के फैसले पर रोक लगाई जाए।
संस्था ने अपने हालिया अपील में न्यायालय को बताया है कि एकल पीठ के फैसले तर्क संगत नहीं हैं और आगामी अपील के लिए कम से कम 30 दिनों का समय दिया जाता है। ऐसे में न्यायालय की अवधारणा ही खंडित हो रही है इसलिए माननीय न्यायालय को मामले का संज्ञान लेना चाहिए। नूरमहल के उक्त संस्थान के निवेदन पर माननीय उच्च न्यायालय आगामी 12 दिसंबर को सुनवाई करेगा।
उल्लेखनीय है कि एक दिसंबर को उच्च न्यायालय ने महाराज के अनुयायियों की दलील खारिज करते हुए महाराज का अंतिम संस्कार 15 दिनों में करवाने का आदेश दिया था। इसके लिए उच्च न्यायालय ने पंजाब के मुख्य सचिव, प्रधान गृह सचिव, स्वास्थ्य एवं संबंधित अन्य विभागों के सचिवों के अलावा प्रदेश के पुलिस प्रधान को शामिल कर एक जांच समिति के गठन का निर्देश दिया था। फैसले में कहा गया था कि जालंधर के जिला न्यायाधीश , एसडीएम, जालंधर के एसएसपी, नगर निगम के कमिश्नर और सीजेएम की कमेटी गठित की जाए। यह समिति महाराज के संस्कार का इंतजाम करे।
इस संदर्भ में महाराज के पुत्र दिलिप झा ने भी माननीय उच्च न्यायालय के दो सदस्यों वाली पीठ में एक अपील दाखिल की है जिसमें बताया गया है कि महाराज उनके पिता हैं इसलिए महाराज के मृत शरीर पर उनका अधिकार है। जानकारी में रहे कि महाराज के बेटे दिलिप की याचिका को न्यायालय की एकल पीठ ने खारिज कर दिया था। दिलिप लगातार न्यायालय से मांग कर रहे हैं कि उनका डीएनए जांच करा लिया जाये।