गुवाहाटी। असम विधानसभा में गोगोई सरकार के तीसरे कार्यकाल का चार दिवसीय फरवरी सत्र के अंतिम दिन पक्ष- विपक्ष के विधायकों में काफी अपनापन दिखा। विधायक पार्टी लाइन से हटकर यह कहते सुने गए कि क्या पता अगली बार फिर विधानसभा में आने का मौका मिले या नहीं।
मुख्यमंत्री की ओर से पहली फरवरी को सदन में पेश लेखानुदान पर बहस के दौरान असम गण परिषद (अगप) के विधायक फणिभूषण चौधरी ने कहा कि हम विधायकों की स्थिति अस्थायी कर्मचारियों जैसी है, जो हमें पांच सालों के लिए अपनी सेवा का मौका देते हैं। यदि उनकी नजर में हमारा कार्य बेहतर होता है तो हमें फिर से अपनी सेवा का मौका देते हैं अन्यथा अपने लिए दूसरा सेवक चुन लेते हैं।
बीते कल सत्र के अवसान के अवसर पर उपस्थित सभी विधायक इस बात से सहमत थे कि संसदीय लोकतंत्र में जीत के साथ-साथ हार का भी मजा चखना होता है।
उल्लेखनीय है कि जब प्रश्नोत्तर काल की समाप्ति के साथ एआईयूडीएफ विधायक आमिनुल इस्लाम ने कहा कि मंत्री के रूप में लोक निर्माण मंत्री अजंता नेउग की उपस्थिति सबसे ज्यादा रही। ऐसे में उन्हें विधानसभा की ओर से पुरस्कृत करने की जरूरत है।
उधर कई मंत्री या विधायक यह कहते सुने गए कि अगली बार मतदाता मेरे भाग्य का फैसला किस रूप में सुनाते हैं। लोकतंत्र में जनता ही मालिक है।
इस बात का एहसास पक्ष-विपक्ष के सभी विधायकों को अच्छी तरह हो रहा था। इधर मंत्री या विधायक विधानसभा में अपने अधीनस्त कार्यरत कर्मचारियों से भी प्रेम से मिलते दिखे। साथ ही चुनाव के बाद उनकी विधानसभा में फिर से वापसी हो, इसके लिए प्रार्थना करने को कहते दिखे।