गुवाहाटी। देश की आजादी के बाद असम के पहले मुख्यमंत्री लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै के बड़े पुत्र व तीन बार के पूर्व विधायक कैप्टन रोबिन बरदलै कांग्रेस छोड़कर बुधवार को भाजपा का दामन थाम लिया।
उनके साथ उनकी पुत्री व राजधानी गुवाहाटी की पार्षद असीमा बरदलै भी भाजपा में शामिल होने वाली थीं, लेकिन किन्ही कारणों से उनकी ज्वाइनिंग अभी नहीं हो पाई।
असम प्रदेश भाजपा मुख्यालय अटल बिहारी वाजपेयी भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में बरदलै को भाजपा पट्टा, टोपी पहनाकर उन्हें औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल कराया गया।
इस मौके पर असम प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में भाजपा के पूर्व गुवाहाटी के विधायक व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सिद्धार्थ भट्टाचार्य, प्रदेश महासचिव विजय गुप्ता, पार्टी के उपाध्यक्ष मिशन रंजन दास के अलावा अन्य कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
सूत्रों ने बताया कि इस मौके पर मुख्मंत्री सर्वानंद सोनोवाल के भी मौजूद रहने की बात कही गई थी, लेकिन वे ऐन मौके पर नहीं पहुंच सके। अपने संबोधन में बरदलै ने भाजपा को मजबूत करने के लिए काम करने का भरोसा दिया। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के कार्यों की जमकर सराहना की।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस में अब पहले वाली बात नहीं रह गई है। भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बरदलै के साथ पिछले दो माह से बाचतीच चल रही थी। उनसे साफ शब्दों में कहा गया है कि 2021 के विधानसभा चुनाव में वे पार्टी से टिकट नहीं मांगेंगे।
साथ ही अपनी बेटी के लिए मेयर का पद भी नहीं मांगेंगे। पार्टी उनके अनुभवों के अनुसार उनका पूरा सम्मान करेगी। माना जा रहा है कि बरदलै कांग्रेस में पूरी तरह से अकेले पड़ गए थे। इसलिए उन्होंने भाजपा में जाने का मन बना लिया है।
उल्लेखनीय है कि बरदलै 2001 और 2007 में दिसपुर विधानसभा से कांग्रेस के विधायक निर्वाचित हुए थे। जबकि 2011 में गुवाहाटी पूर्व से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था।
लेकिन 2016 के विधानसभा चुनावों में वे भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सिद्धार्थ भट्टाचार्य से पराजित हो गए थे। माना जा रहा है कि बरदलै के भाजपा में आने के बाद गुवाहाटी पूर्व विस क्षेत्र में कांग्रेस का कोई चेहरा नहीं रह गया है।