माजुली। इतिहास में आज के दिन विश्व के सबसे बड़े नदी दीप माजुली का नाम जिला के रूप में दर्ज हो गया। माजुली देश का पहला ऐसा जिला बन गया है जिसका पूरा क्षेत्रफल नदी के बीचों-बीच स्थित है।
असम के 35वें जिले के रूप में औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने एक भव्य समारोह में इसके मुख्यालय का उद्घाटन किया। इस मौके पर असम सरकार के सभी मंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक समेत कई आलाधिकारी मौजूद थे।
माजुली को असमिया संस्कृति और वैष्णव धर्म का प्राण कहा जाता है। माजुली को सत्रों (मठ) की नगरी के रूप में जाना जाता है। आज से पहले माजुली जोरहाट जिले की महज के महकुमा में थी लेकिन आज से इसका संबंध पूरी तरह से जोरहाट से अलग हो गया।
महकुमाधिपति कार्यालय के सभागार में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री ने उपायुक्त कार्यालय का उद्घाटन किया। इस मौके पर भारी संख्या में माजुलीवासी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि माजुली ब्रह्मपुत्र नद के बीचों-बीच स्थित है। यहां पर पहुंचने के लिए नदी के रास्ते नाव, जहाज से पहुंचा जा सकता है। माजुली का क्षेत्रफल ब्रह्मपुत्र के कटाव से काफी सिकुड़ गया है। बावजूद इसके यहां पर एक बड़ी आबादी रहती है।
राज्य की सर्वानंद सोनोवाल सरकार ने माजुली को बचाने और विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री सोनोवाल माजुली विधानसभा क्षेत्र से ही विधायक हैं। माजुली को जिला घोषित किए जाने के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि माजुली का अब तीव्र गति से विकास होगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि आज असम रत्न डा. भूपेन हजारिका की जयंती है वहीं आज माजुली का जिला के रूप में जन्म हो रहा है। इस अवसर पर उन्होंने पूरे माजुलीवासियों को बधाई दी। इस मौके पर परिवहन विभाग ने भी यहां से कई बसों को चलाने की घोषणा की।
वहीं यहां पर आने वाले पर्यटकों के सत्रों व अन्य स्थानों की सैर कराने के लिए परिवहन विभाग ने एक एसी बस का भी शुभारंभ किया। कुल मिलाकर आज पूरे माजुली दीप में उत्साह का माहौल व्याप्त है।