इटावा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पैतृक गांव बटेश्वर को उनके जन्म दिन के मौके पर भारतीय रेल के नक्शे पर लाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। के न्द्र सरकार वाजपेयी के 91वें जन्म दिन पर 25 दिसम्बर को आगरा-इटावा रेल लाइन से बटेश्वर को जोड़कर उन्हें एक तोहफा देना चाहती है।
यदि सब कुछ ठीक चलता रहा तो एक नई रेलगाड़ी 25 दिसम्बर को बटेश्वर रेलवे स्टेशन से गुजरेगी। रेलवे सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि भिंड और इटावा के बीच रेललाइन पर परीक्षण 20 दिसम्बर तक पूरा कर लेने के रेलवे सुरक्षा आयुक्त को निर्देश दिए गए हैं।
झांसी मंडल के जन सम्पर्क अधिकारी रवि प्रकाश ने बताया कि बटेश्वर से लखनऊ के बीच एक ट्रेन शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस लाइन पर संचालन के वास्ते एक ट्रेन श्ुरू करने का शीघ्र ही निर्णय ले लिया जाएगा। गौरतलब है कि आगरा-इटावा रेल लाइन से बटेश्वर को जोड़ने की लंबे अर्से से मांग की जा रही है।
बटेश्वर आगरा जिले का एक छोटा सा गांव है। यह गांव बाह से पांच किलोमीटर दूर है। बटेश्वर उस समय राजनीतिक चर्चा में आया था जब वाजपेयी और उनके भाई को अगस्त 1942 में गिरफ्तार किया गया और वे 23 दिनों तक जेल में रहे थे।
बटेश्वर को रेल लाइन से जोड़ने को इस गांव के निवासियों के लिए यह एक वरदान जैसा माना जा रहा है। बाजपेयी का सपना था कि उनके गांव को रेल संपर्क से जोड़ा जाए और वहां से गुजरने वाली रेल लाइन बडे शहरों से जुडे।
वाजपेयी ने इस रेल लाइन परियोजना की घोषणा एक अप्रेल 1999 को की थी। केन्द्र और राज्य में सरकारों के बदलने से इस परियोजना ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं। करोड़ों रूपए खर्च करके बनाई गई इस रेल लाइन के पूरा होने का काम महज पांच हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण के मामले को लेकर सालों तक लंबित रहा।
एक अनुमान के अनुसार रेलवे विभाग इस परियोजना पर अब तक 214.90 करोड़ रूपए खर्च कर चुका है। आगरा-इटावा रेल लाइन अब परीक्षण के अंतिम दौर के लिए तैयार कर ली गई है। बटेश्वर से इटावा तक ट्रेन के इंजन के परिचालन का परीक्षण कर लिया गया है। पूरी ट्रेन का संचालन अब किसी भी दिन किया जा सकता है।
गौरतलब है कि बटेश्वर एक मशहूर पर्यटक स्थल है। यहां हर साल वर्षाकाल में पशु मेला लगता है जिसमें देश भर से लोग पशुओं की खरीद फरोख्त करने आते हैं। बटेश्वर में 101 शिव मंदिर परिसर है जिसकी वजह से दूर दूर तक इसकी ख्याति है।