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बाबरी मामले का फैसला 'आस्था' के आधार पर नहीं हो सकता : ओवैसी - Sabguru News
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बाबरी मामले का फैसला ‘आस्था’ के आधार पर नहीं हो सकता : ओवैसी

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बाबरी मामले का फैसला ‘आस्था’ के आधार पर नहीं हो सकता : ओवैसी
Ayodhya : Babri Masjid case can't be decided on 'aastha', says Asaduddin Owaisi
Ayodhya : Babri Masjid case can't be decided on 'aastha', says Asaduddin Owaisi
Ayodhya : Babri Masjid case can’t be decided on ‘aastha’, says Asaduddin Owaisi

हैदराबाद। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि बाबरी मस्जिद मामले का फैसला सिर्फ सबूतों के आधार पर हो सकता है, न कि आस्था के आधार पर, जैसा कि संघ परिवार मांग कर रहा है।

यहां रविवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने आशंका जताई कि राजनीतिक लाभ के लिए 2019 के चुनावों के पहले इस मुद्दे पर संघ परिवार देश के माहौल को बिगाड़ सकता है।

संसद सदस्य ने विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के उस बयान की निंदा की, जिसमें उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का काम 18 अक्टूबर 2018 को शुरू होने की बात कही गई थी।

ओवैसी ने इस बात पर हैरानी जताई कि जब मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, तो इस तरह के बयान कैसे दिए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास 1990 के दशक के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा और बाबरी मस्जिद को तोड़ने के बाद हुई हिंसा और खूनखराबे को फिर दोहरा सकते हैं। उन्होंने आगाह किया कि इससे देश कमजोर हो सकता है।

बाबरी मस्जिद विध्वंस की 25वीं बरसी की पूर्व संध्या पर इस सार्वजनिक सभा को विभिन्न मुस्लिम संगठनों की संयुक्त समिति ने आयोजित किया।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि अयोध्या में सिर्फ मंदिर बन सकता है पर कड़ा ऐतराज जताते हुए ओवैसी ने कहा कि मुसलमान इस तरह की धमकियों से झुकने वाले नहीं हैं।

ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों का मुद्दा बाबरी मस्जिद नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्षता से संबंधित है। यह वह मामला है जो देश का आगे का रास्ता तय करेगा।

सांसद ने कहा कि वह न्यायाधीश मनमोहन सिंह लिबरहान के उस सुझाव का समर्थन करते हैं, जिसमें उन्होंने दावेदारी को लेकर तब तक सुनवाई नहीं करने की बात कही है, जब तक मस्जिद तोड़ने से संबंधित आपराधिक मामले का निपटारा नहीं हो जाता।

ओवैसी ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश एएम अहमदी के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर न्यायाधीश वेंकटचलैया ने कार सेवा को अनुमति नहीं दी होती, तो बाबरी मस्जिद नहीं टूटती।

उन्होंने कहा कि विध्वंस के 25 साल बाद भी अदालत की अवमानना का मामला सुनवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय में नहीं आया।

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि कुछ सांप्रदायिक समूहों के लिए यह मामला आस्था का नहीं बल्कि राजनीतिक हित का है।

सभा को संबोधित करने वाले नेताओं ने मुसलमानों से मूल जगह पर मस्जिद निर्माण कराने की मांग को लेकर छह दिसंबर को शांतिपूर्ण तरीके से बंद रखने का आह्वान किया।