अयोध्या। रामनगरी की पंचकोसी परिक्रमा निर्धारित मुर्हूत से पूर्व ही श्रद्धालुओं के जयश्रीराम, जय सरयू मैया के उद्घोष के साथ शुरू हो गई।
पंचकोसी परिक्रमा हेतु बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा रामनगरी में विराजमान था, आखिरकार वह क्षण आ गया और श्रद्धालुओं ने श्रद्धाभाव से पंचकोसी परिक्रमा का शुभारंभ। आस्था के डगर पर लाखों पग निकल पड़े तो यह दृश्य आस्था के चरमोत्कर्ष का गवाह बना।
पुण्य सलिला सरयू में डुबकी लगाने के उपरांत श्रद्धालुओं ने अलग-अलग स्थान से परिक्रमा का श्रीगणेश किया। जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ता गया वैसे ही परिक्रमा की भव्यता भी बढ़ती दिखती प्रतीत होने लगी।
ग्रामीण अंचल से आयी महिला श्रद्धालुओं द्वारा समवेत स्वर से गाये जा रहे भजन श्रद्धाकर्षण का केन्द्र बन रहे थे, तो आस्थावान परिक्रमार्थियों का उत्साह दोगुना कर रहे थे।
रात बढऩे के साथ ही ठंडक में इजाफा हो रहा था, तो ओस की बूंदे पर श्रद्धालुओं को सिहरने पर विवश कर रही थी परन्तु आस्था के आगे सभी दुश्वारियां नगण्य साबित हो रहीं थी।
फिलहाल परिक्रमा के निर्धारित मुहूर्त अपराहन 3 बजकर 6 मिनट से पूर्व ही श्रद्धालुओं के पग परिक्रमा पथ पर चल पड़े। 5 कोस की परिधि में आस्था का रेला निकल पड़ा। परिक्रमा करने वालों में युवा, प्रोढ़ तो थे ही, महिलायें, बुर्जग एवं बच्चों का जोश एवं आस्था भी नमन करने योग्य दिख रही थी।
सर्दी को दरकिनार कर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने परिक्रमा से पूर्व पावन सलिला सरयू में डुबकी लगायी। परिक्रमा मार्ग पर बढ़ते श्रद्धालु श्रीराम व सरयू मैया का जयकारा भी लगा रहे थे। रात्रि का अंधकार घना होने के साथ ही परिक्रमा भी अपने पूरे रौ में आती दिख रही थी।
आधी रात तक परिक्रमा पथ श्रद्धालुओं से बिल्कुल कस उठा था। नंगे पाव आस्था की डगर नाप रहे श्रद्धालुओं को भारी भीड़ से भी जूझना पड़ रहा था। कई स्थानों पर प्रशासनिक दुश्वारियां भी श्रद्धालुओं को झेलनी पड़ी। परिक्रमा मार्ग जगह-जगह सजी दुकानों, अनेक संस्थाओं एवं समाजसेवियों द्वारा लगाए गए सेवा शिविर से भी गुलजार रहा।