अजमेर। विभिन्न धर्मों में अलग अलग प्रकार से चमत्कारों की व्याख्या की गई है। हिन्दू धर्म में यज्ञ से अनेक चमत्कार होना बताया गया है। इसी प्रकार इस्लाम मे समय सिद्धि और जैन धर्म में संकल्प सिद्धि सबसे बड़ी चमत्कारिक शक्तियां पाई गई हैं। हमारे हिन्दू धर्म में अनादिकाल से यज्ञ की परम्परा है। विधिवत रूप से यज्ञ करने से इच्छित फल की प्राप्ति अवश्य होती ही है।
ये विचार कथा मर्मज्ञ रामदेवरा के संत स्वामी मूल योगीराज ने सोमवार को व्यक्त किए। उन्होने कहा कि कलियुग में बाबा रामदेव से अधिक तात्कालिक चमत्कार दिखाने वाले देव और कोई नहीं हैं। भगवन से मिलना बहुत सहज है, बस उससे मिलने की इच्छा प्रबल होनी चाहिए और संकल्प शक्ति में बल होना चाहिए।
योगीराज ने कहा कि कथा का मूल तात्पर्य शंका-समाधान और समस्त शंकाओं का निवारण होना है। कथा में समस्त शंकाओं का समाधान होता है। बाबा हर जगह हैं, सिर्फ देखने वाली नजर चाहिए। बाबा रामदेव की कथा का इतिहास सुनते हुए उन्होंने बताया कि बाबा रामदेव की कथा हरजी भाटी ने राजा विजयसिंह को सुनाई थी। यह कथा बाबा रामदेव जी के समाधिस्थ होने के करीब तीन सौ साल बाद सुनाई गई। सबसे पहले बाबा रामदेव की कथा का प्रचार गुजरात से हुआ।
स्वामी मूल योगीराज ने कहा कि राजा अजमाल आदि आठ भाई थे, जिसमे से छह भाई एक युद्ध में वीर गति को प्राप्त हो गए। राजा अजमल के कोई संतान नहीं थी, जबकि उनके अनुज के दो पुत्रियां थीं। किसानों की व्यथा को देखकर और अजमल का उत्तराधिकारी ना होने के कारण अजमल द्वारिका गए।
उन्होंने पुत्र न होने की व्यथा से ग्रसित होकर आत्महत्या करने का विचार किया और समुद्र में कूद गए। पोकरण के राजा का समुद्र में छलांग लगा जाना द्वारिका नगरी मे चर्चा का विषय बन गया। द्वारिकाधीश ने उनकी रक्षा की और उनकी इच्छा पूछी। राजा अजमल ने उनसे दो वर मांगे पहला निपुत्र दोष हटाने और दूसरा मरूभूमि से भैरव नमक राक्षस से मुक्त करने का था। द्वारिकाधीश ने दोनों वर दिए।
स्वामी मूल योगीराज ने आधुनिक काल में विलुप्त हो रही परम्पराओं पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि आज भीड़, धन और सामर्थ्य देख कर गुरु और शिष्य बनाए जाने लगे है। परम्पराओं का विलुप्त होना हमारे पतन का कारण बनता जा रहा है।
कथा के मध्य में साध्वी शशि गौतम दीदी ने अपने सुमधुर भजनों से अरजी करूं फिर गौर फरमाइएगा, आंधियां ने आंखा देवे, बांझियां ने पुत्र दिरावे सा, सीताराम, सीताराम, सितम कहिये, जाहि विधि रखे राम ताहि विधि रहिये, थाली भरकर ले रे खीचड़ो ऊपर घी री बाटकी, हे रामदेव दुःख दूर करो कृपा करो मेरे कष्ट हरो सहित अनेक भजन सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर मज़बूर कर दिया।
कथा आयोजक संस्था बाबा श्रीरामदेव कथा समिति के महेन्द्र मारू ने बताया कि सोमवार को भगवन द्वारिकाधीश लक्ष्मी वार्ता, गरुड़ से चर्चा, श्रीहरि का नरलीला हेतु भूलोक में आगमन, राजा के महल में शिशु रूप मेसा प्राकट्य चरण चिन्ह कुमकुम के दिखाना, गर्म दूध की देग से चूल्हे से उतर कर माता मैणादे की शंका का समाधान करना आदि के वर्णन के प्रसंगों का वर्णन किया गया।
मंगलवार की कथा में कपड़े के घोड़े का आकाश में उड़ना, जंगल वृक्ष डाल पर डालीबाई का मिलना, वीरमदेव का जन्मोत्सव, किसानों द्वारा नगर त्याग करने की फरियाद करना, जान खेलने जाना, बालीनाथ मिलान, भैरव का करना, राजतिलक और आरती आदि प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा।
बाबा के परम भक्त पार्षद कुंदन वैष्णव, सत्यनारायण भंसाली के विशेष सहयोग से की जा रही कथा में सोमवार को महापौर धर्मेंद्र गहलोत, निगम आयुक्त हिमांशु गुप्ता, उपायुक्त गजेंद्र सिंह रलावता, नारीशाला चैयरमेन भारती श्रीवास्तव, पार्षद रमेश सोनी, पार्षद भागीरथ जोशी, द्रोपदी कोली, संतोष मौर्य, पिंकी, कीर्ति हाडा, चंद्रेश सांखला, मोहन लालवानी, भरत सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।