सबगुरु न्यूज। तंवर वंश के हिन्दू राजा अजमल जी के घर में बाबा रामदेव जी का अवतार हुआ था। बाबा रामदेव जी का जन्म अवतार राजस्थान राज्य के बाडमेर ज़िले के गांव उणडू काश्मीर में हुआ था।
विक्रम संवत 1409 अर्थात सन 1352 में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की दूज के दिन जन्में रामदेव ने 33 वर्ष की अल्प आयु में ही विक्रम संवत 1442 में जीवित समाधि ले ली।
मध्य कालीन भारतीय इतिहास में उस समय लूटपाट, डकैती, चोरी तथा हिन्दु मुस्लिमों के बैर चल रहे थे। समाज छूआछूत, जातिवाद, धर्म वाद की अनेक बुराईयों से पीड़ित था। ऐसे समय में बाबा रामदेव जी का जन्म अवतार होना और बाबा की सराहनीय सेवा से उन कुरीतियों का अंत करना महत्व पूर्ण सफलता थी।
जैसलमेर के पोकरण मे तंवर अजमल जी की राजधानी थी। वहां एक भैरव राक्षस का आतंक था। बाबा रामदेव बाल्य काल से ही अपनी लीला दिखाते रहे तथा अपने चमत्कार से भैरव राक्षस का वध किया। कपड़े के घोड़े पर बैठ उसे आसमान में उड़ा दिया। मिश्री के टैक्स की चोरी व्यापारी ने की नमक बताकर तो उसका मिश्री सें नमक बना दिया।
समुद्र में व्यापारी की नाव डूबने पर उसके याद करते ही बचा दिया। पांचों पीरो के बरतन उडाकर मक्का से मंगाए। अपनी बहन सुगना का बच्चा मरने पर जिन्दा कर दिया। रूपादे की भक्ति से खुश हो थाली में बाग लगा दिया आदि अनेक चमत्कार जनश्रुति के अनुसार कहे हैं।
बाबा रामदेव गरीब, बेसहारा व दलितों के मसीहा बने। रोगी ओर बीमार को ठीक किया। दलित डाली बाईं उनके साथ धर्म की बहन बन कर रहीं। पोकरण के पास गांव रामदेवरा में अपना निवास बनाया। वहां बावड़ी ख़ुदवाई तथा एक तालाब बनवाया। अंत में सभी गांव वासियों को एकत्र कर हाथ में नारियल ले सभी के सामने भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन जीवित समाधि ले इस दुनिया से विदा हो गए।
उनका जन्म भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की दूज के दिन हुआ तथा समाधि भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को हुईं। इस कारण दूज से दसमी तक रामदेव जी का मेला रामदेवरा में लगता है जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु जन बाबा रामदेव जी के दर्शन करते हैं। वास्तव में राजस्थान का यह मेला एक महाकुंभ है जहां केवल भाद्रपद मास में लगभग पचास लाख से ज्यादा श्रदालु आते हैं तथा वर्ष भर बाबा के श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
सौजन्य : भंवरलाल