मुंबई। शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की करोडों रुपए की संपत्ति और वसीयत को लेकर उनके दो बेटों उद्धव और जयदेव में विवाद चल रहा है। इस मामले में बॉंबे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान गवाही देने बाल ठाकरे के फैमिली डॉक्टर जलिल पारकर आए।
हाईकोर्ट को उन्होंने बताया जब ठाकरे ने अपनी वसीयत लिखी थी, तब उनकी दिमागी हालत और याददाश्त पूरी तरह ठीक थी।
गौरतलब है कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की संपत्ति करोड़ों में है, जिसमें १४.८५ करोड़ रुपए का बैंक डिपॉजिट्स, १५० करोड़ रुपए मूल्य का दादर स्थित सेना भवन,३० करोड़ रुपए मूल्य के पार्टी के बाकी छोटे कार्यालय, मातोश्री बंगला 80 करोड़ रुपए, पनवेल स्थित 5 करोड़ रुपए का फार्महाउस, कर्जत का फार्म हाउस और भंडारदारा में एक जमीन का समावेश है।
उल्लेखनीय है कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने जनवरी २०१४ में बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रोबेट पीटिशन दायर किया। बताया जाता है कि इस तरह की याचिका दिवंगत व्यक्ति की वसीयत को बतादें कि शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे का ८६ साल की उम्र में १७ नवंबर २०१२ को निधन हुआ था, लेकिन उद्धव के मुताबिक ठाकरे इससे पहले १३ दिसंबर २०११ को वसीयत लिख चुके थे।
उद्धव का दावा है कि ठाकरे अपने पीछे जो संपत्ति छोड़ गए हैं उसका मूल्य १४.८५ करोड़ रुपए ही है। वहीं जयदेव का दावा है कि सिर्फ मातोश्री बंगला ही ४० करोड़ रुपए का है। बाकी संपत्ति कुल मिलाकर मूल्य १०० करोड़ रुपए से भी ज्यादा की है।
जयदेव का कहना है कि ठाकरे की दिमागी हालत ठीक नहीं थी और वसीयत अंग्रेजी में लिखकर हस्ताक्षर मराठी में किया गया है। हाईकोर्ट में सौंपी गई वसीयत के मुताबिक बाल ठाकरे ने मातोश्री बंगला उद्धव और उनके परिवार के नाम किया है। इसके अलावा कर्जत का फार्म हाउस और भंडारदारा की जमीन भी उद्धव को दी है।
मातोश्री बंगले की दूसरी और तीसरी मंजिल उद्धव के परिवार को दी है। पहली मंजिल जयदेव-स्मिता के बेटे ऐश्वर्य को दी है। वसीयत में कहा गया है कि स्मिता या जयदेव का पहली मंजिल पर कोई दखल नहीं होगा, लेकिन उसके रखरखाव का खर्च स्मिता को ही उठाना होगा। बाल ठाकरे के सबसे बड़े बेटे बिन्दु माधव ठाकरे की सडक़ हादसे में मौत हो गई थी।
ठाकरे ने अपनी संपत्ति में बिन्दु माधव के परिवार को कोई हिस्सा नहीं दिया है। डॉ. जलिल पारकर ने हाईकोर्ट में कहाकि बाल ठाकरे ने वसीयत पर दस्तखत किए तो उनकी दिमागी हालत और याददाश्त ठीक थी? जब उनसे पूछा गया कि वे पब्लिक मीटिंग के दौरान बाल ठाकरे के साथ क्यों रहते थे? तो डॉ. ने कहा कि वे ठाकरे के साथ इसलिए रहते थे क्योंकि कभी भी मेडिकल इमरजेंसी आ सकती थी। डॉ. की गवाही के बाद हाईकोर्ट क्या फैसला देता है, इस पर सभी की नजरें लगी हुई हैं।