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बांग्लादेश : दो विपक्षी नेताओं की मौत की सजा बरकरार - Sabguru News
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बांग्लादेश : दो विपक्षी नेताओं की मौत की सजा बरकरार

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बांग्लादेश : दो विपक्षी नेताओं की मौत की सजा बरकरार
Bangladesh supreme Court upholds opposition leader's death Sentences
Bangladesh supreme Court upholds opposition leader's death Sentences
Bangladesh supreme Court upholds opposition leader’s death Sentences

ढाका। बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1971 में हुए मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों के दोषी ठहराए गए दो शीर्ष विपक्षी नेताओं की अंतिम पुनरीक्षण याचिकाएं  खारिज करते हुए उनके मृत्युदंड को बरकरार रखा है।

मुख्य न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा के नेतृत्व में चार सदस्यों की पीठ ने जमात-ए-इस्लामी के महासचिव अली एहसान मोहम्मद मुजाहिद और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के नेता सलाउद्दीन कादिर चौधरी की पुनरीक्षण याचिकाएं खारिज कर दीं।

इस खंडपीठ ने मंगलवार को मुजाहिद और बुधवार को कादिर की याचिका पर सुनवाई की। मुजाहिद और चौधरी दोनों की आयु 60 वर्ष से अधिक है और वे पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी नीत गठबंधन सरकार में वरिष्ठ मंत्री थे।

जमात -ए -इस्लामी पार्टी इस गठबंधन सरकार में मुख्य सहयोगी थी। मुजाहिद को 16 दिसंबर 1971 को मुक्ति संग्राम में मिली जीत से ठीक पहले देश के शीर्ष प्रबुद्ध वर्ग के नरसंहार का एक अहम सरगना करार दिया गया है।

चौधरी को खासकर अपने गृह जिले चटगांव में अत्याचार के कई मामलों में दोषी पाया गया, जिसके कारण हिंदुओं के खिलाफ एक हिंसक मुहिम शुरू हुई। बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने उन्हें मानवता के खिलाफ अपराध के विभिन्न मामलों में मृत्युदंड दिया था और सर्वोच्च न्यायालय ने जून और जुलाई में उनके मृत्युदंड की पुष्टि की थी।

 
दोनों नेताओं को बुधवार के फैसले के बाद मौत की सजा दिए जाने का रास्ता साफ हो गया है और उनके पास अब सजा से बचने का अंतिम विकल्प राष्ट्रपति से क्षमादान मिलना ही है। वहीं यह फैसला सुरक्षा बलों की कड़ी निगरानी के बीच सुनाया गया है। सुरक्षा बलों ने तड़के से ही उच्चतम न्यायालय परिसर के चारों तरफ और इसके भीतर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।

 
सशस्त्र पुलिस और आरएबी (अपराध निरोधी रैपिड एक्शन बटालियन) ने उच्चतम न्यायालय के फैसला सुनाने से पूर्व परिसर के भीतर आम लोगों का प्रवेश रोक दिया था और सुरक्षा निगरानी कड़ी कर दी थी।

 
सर्वोच्च न्यायालय के फैसला सुनाए जाने के बाद संघर्ष की आशंका के कारण देशभर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। यह फैसला उन आशंकाओं के बीच सुनाया गया है कि जारी सुनवाइयों और वर्ष 1971 के शीर्ष युद्ध अपराधियों की मौत की सजा को रोकने के लिए नए हमले किए जा सकते हैं।

इससे पहले भी योजनाबद्ध ढंग से किए गए गुप्त हमलों में दो विदेशियों समेत नौ लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 100 लोग घायल हुए हैं।