नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों का मुनाफा कुल मिलाकर 35,000 करोड़ रुपए रहा है, लेकिन बुरे ऋणों के कारण उनकी कमाई घटकर महज 222 करोड़ रुपए रह गई है।
शुक्रवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकारी बैंकों के प्रमुखों से मुलाकात की। इस दौरान बैंकों की सेहत पर चर्चा के साथ-साथ वित्त मंत्री ने एनपीए, क्रेडिट ग्रोथ और वित्तीय समावेशन सहित तमाम मुद्दों पर विचार विमर्श किया।
समीक्षा बैठक के बाद जेटली ने कहा कि कई सरकारी बैंकों ने 30 जून को खत्म हुई तिमाही में बड़े नुकसान होने की बात स्वीकारी है।
इसका मुख्य कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकों को अपनी संपत्तियों की गुणवत्ता की समीक्षा का आदेश देने के बाद उनकी गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (फंसे हुए कर्जे) का प्रावधानीकरण है।
जेटली ने कहा कि लंबे समय से कर्ज की अदायगी नहीं करनेवाली कुछ बड़ी कंपनियों ने अब अपने उधार का ब्याज चुकाना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि जब तक इन कर्जों के ब्याज की अदायगी होती है, तब तक बैंक की बैलेंस शीट में ये फंसे हुए कर्ज गैर निष्पादित श्रेणी में रहेंगे।
दूसरी ओर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के चार बैंक जन-धन खातों में पैसा जमा कराये जाने के मामले की अपनी शाखाओं में जांच कर रहे हैं।
खबरें आई थी कि पंजाब ऐंड सिंध बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा तथा बैंक ऑफ इंडिया के बैंकरों ने खुद ही जनधन खातों में एक रुपए जमा कराया था ताकि जीरो बैलेंस वाले खातों की संख्या को कम करके दिखाया जा सके।