सार्वजनिक स्थलों पर फ्री वाई फाई, हमारी सुविधा के लिए दिए गए है। ताकि डिजिटल होती लाइफ का कोई भी काम न रुक सकें। ऐसे में हमारे काम को असानी से हो रहें है, लेकिन अक्सर यह खबरें आती है फ्री वाई फाई यूज में भी फ्रॉर्ड हुआ है।
ऐसे में अगर आप भी सार्वजनिक जगहों पर मिलने वाले फ्री वाई-फाई नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको सावधान रहना चाहिए। सार्वजनिक वाई-फाई अनसेफ हो सकते हैं और हैकर्स आसानी से स्मार्टफोन से कई संवेदनशील जानकारियां चुरा सकते हैं। किसी भी धोखे से बचने के लिए कुछ टिप्स को हमेशा फॉलों करें।
जैसे कि अपने सभी ऑनलाइन अकाउंट्स जैसे जीमेल और बैंक अकाउंट्स पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन कर दीजिए। इससे सामान्य पासवर्ड के अलावा आपको मोबाइल फोन आने वाला ओटीपी भी डालना होता है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर किसी ने पब्लिक वाई-फाई के जरिए आपके पासवर्ड का पता लगा लिया है, तो भी वह कुछ नहीं कर पाएगा।
यूज करें एंटी-वाइरस टूल्स
पब्लिक वाई-फाई इस्तेमाल करने से पहले फोन में सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें। एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम में मैलवेयर आ सकते हैं। ऐसे में कोई ऐसा एंटीवाइरस डालें जिसमें फायरवॉल, मैलवेयर स्कैनिंग और रिमूवल जैसे फीचर्स हों। पब्लिक वाई-फाई पर कनेक्ट करने पर अन्य डिवाइसेज के मैलवेयर स्मार्टफोन पर आ सकते हैं। हैकर्स इन्हें जान बूझकर भी फोन में भेज सकते हैं।
नो बैंकिंग, नो शॉपिंग
पब्लिक वाई-फाई के जरिए ऑनलाइन बैंकिंग या शॉपिंग करने से बचना चाहिए करें। क्योंकि हैकर्स कभी भी अकाउंट्स की डीटेल्स हैक कर सकते हैं। अगर कोई जरूरी ट्रांजैक्शन करनी हो, तो मोबाइल डेटा इस्तेमाल करें या फिर वीपीएन इस्तेमाल करें। ब्राउजर पर नेट बैंकिंग करने के बजाय बैंक के ऑफिशल एप का इस्तेमाल करें क्योंकि वह एनक्रिप्टेड होता है।
अपडेट हो ऑपरेटिंग सिस्टम
कोशिश करें कि फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम को हमेशा अपडेट रखें। कंपनियां समय-समय पर सिक्योरिटी अपडेट्स जारी करती हैं, जो खामियों को दूर करते हैं और वायरस से फोन को बचाते हैं।
स्लो में है रिस्क
वाई-फाई नेटवर्क में कनेक्शन स्लो हो, तो तुरंत डिस्कनेक्ट कर दें। अगर साइन-इन पेज पर जाने में परेशानी हो रही हो, तो भी फोन को डिस्कनेक्ट करें। वाइरस की चपेट में राउटर के आने पर भी वाई-फाई की स्पीड कम हो सकती है। हो सकता है कि आप मेन राउटर के बजाय किसी अन्य राउटर से कनेक्ट हो गए हों। हो सकता है कि आप डेटा को किसी अन्य डिवाइस के जरिए एक्सेस कर रहे हों। हैकर्स ट्रैक करते हैं कि आस-पास कोई वाई-फाई सिग्नल तो नहीं है। वे अपने पीसी को फेक राउटर में बदल देते हैं, जैसे ही कोई मेन राउटर के बजाय उनके डिवाइस से कनेक्ट करता है, वे उसके जरिए भेजे जाने वाले सारे डेटा को कॉपी कर लेते हैं।
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