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अच्छी डिग्री के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी जरुरी - Sabguru News
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अच्छी डिग्री के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी जरुरी

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अच्छी डिग्री के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी जरुरी

पहले जहां देश आईआईटी की आॅउटसॉर्सिंग का हब बना हुआ था, वहीं अब हर सेक्टर की कंपनियां धीरे धीरे देश में पकड़ बना रही है। लगभग हर बड़ी कंपनी भारत के बाजार को उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। सभी को यहां के महानगरों से लेकर छोटे शहरों, कस्बों और यहां तक कि गांवों में भी उन्हें बेशुमार संभावनाएं नजर आ रही हैं।

भारतीय कंपनियां हों या विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियां, सभी यहां प्रसार कर रही हैं। यही नहीं, तेजी से बढ़ रहे स्टार्टअप्स भी अच्छे संकेत दे रहे हैं। कुल मिलाकर कहें, तो इस वजह से हर सेक्टर में नौकरियों के चांस ज्यादा बनने लगे है। ऐसे में नौकरी के लिए सिर्फ अच्छी डिग्री लेने से कुछ नहीं होगा बल्कि हर स्तर पर सर्तक रहना होगा।

व्यवहारिक बनाए रखें नजरिया

जाहिर है, जब कंपनियों का शहरों से लेकर गांवों तक में प्रसार होगा, तो उन्हें हर स्तर पर तकनीकी और गैर-तकनीकी स्टाफ की जरूरत होती है। अवसर प्रमुख रूप से रिटेल, आईटी, बैंकिंग, फाइनेंस, टेलीकम्युनिकेशंस, ई-कॉमर्स, मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, हाउसकीपिंग, हॉस्पिटैलिटी, मेडिकल, ट्रांसपोर्ट, कंस्ट्रक्शन आदि में हैं। ऐसे में इन सभी में से अपनी रुचि का क्षेत्र तलाशना होगा और फिर उसके मुताबिक स्किल डेवलप करनी होगी।

यह सोचकर मुगालते में न रहें कि आपने आईटी, सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स या किसी और टेक्निकल ब्रांच से डिप्लोमा या इंजीनियरिंग का कोर्स के आधार पर जॉब मिलेगी। आज के दौर में कंपनियां उन्हीं को प्राथमिकता के आधार पर जॉब ऑफर करती हैं, जो कंपनी की व्यवहारिक जरूरतों के प्रति जागरूक होते हैं और उनमें इतना आत्मविश्वास होता है कि वे कंपनी के दिए गए हर तरह के असाइनमेंट को बेहतर तरीके से पूरा करते हुए बेस्ट आउटपुट दे।

एक्सपर्ट की पारखी नजरें

अगर कोई कंपनी कॉलेज/यूनिवर्सिटी में प्लेसमेंट के लिए आ रही है, तो उसके एक्सपर्ट सिर्फ यह नहीं देखते कि परीक्षा में कितने अंक मिले हैं। दरअसल, वे पारखी नजरों से एटिट्यूड परखते हैं। उनका नजरिया एकेडेमिक से कहीं ज्यादा साइकोलॉजिकल होता है। किसी उम्मीदवार को चुनते समय वे यह जरूर देखते हैं कि वह उनकी कंपनी के लिए किस तरह उपयोगी हो सकता है? उसकी सोच में कितनी गहराई है? उसमें काम को लेकर कितनी लगन और क्षमता है? भविष्य को लेकर वह कितना दूरदर्शी है? इन सब के अलावा,अगर सक्षम होते हुए भी किसी उम्मीदवार में आत्मविश्वास की कमी दिखती है, तो वह अवसर से चूक सकता है।

फोकस हो स्किल पर

रुचि/पसंद के करियर के लिए जो भी क्षेत्र/कोर्स चुना है, उसमें सिर्फ एकेडेमिक उपलब्धि हासिल करके ही आत्ममुग्ध न हो जाएं। परीक्षा में अधिक से अधिक अंक लाना तो जरूरी है ही, मगर बदलते वक्त के अनुसार भरपूर प्रेक्टिकल नॉलेज भी जरूर हासिल करें। सवाल यह भी है कि क्या जो ज्यादातर लोग सीख और कर रहे हैं, आप भी उन्हीं जैसा करें! बिल्कुल नहीं। सबसे पहले तो आप अपनी पसंद को जानें-समझें। पैरेंट्स/ गार्जियंस इच्छा के विपरीत कोई कोर्स करने का दबाव डाल रहे हैं, तो आप बिना दबाव में आए उन्हें प्यार से समझाएं कि किस फील्ड में काम करके खुशी मिल सकती है।