आमतौर पर हम दवाइयां और खाद्य पदार्थ खरीदते समय उनकी पूरी जांच-परख करते हैं। मसलन, कंपनी, वजन, इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाली चीजें और एक्सपायरी डेट आदि। वहीं, हम में से अधिकतर लोग घरेलू गैस सिलेंडर खरीदते समय किसी भी तरह की जांच-पड़ताल नहीं करते। जबकि यही लापरवाही बड़े हादसों का कारण बनती है, इसलिए सिलेंडर की एक्सपायरी डेट पर भी गौर करना जरूरी है।
असल में तकरीबन पांच फीसदी सिलेंडर एक्सपायर्ड या एक्सपायरी डेट के करीब होते हैं। टेक्निकल जानकारी कम होने से ये रोटेट होते हैं। वैसे सिलेंडर की एक्सपायरी डेट औसतन छह से आठ महीने एडवांस रखी जाती है, फिर भी पकड़ में आने पर एक्सपायर्ड सिलेंडर उपभोक्ताओं को नहीं दिया जाता।
बचें गफलत से
एक्सपायरी डेट पेंट से प्रिंट की जाती है इसलिए इसमें हेर-फेर संभव है, क्योंकि कई बार जर्जर हालत में जंग लगे सिलेंडर पर भी एक्सपायरी डेट डेढ़-दो साल आगे की होती है। ऐसे में एजेंसी वाले तर्क देते हैं कि यहां से वहां लाते ले जाते वक्त उठा-पटक से कुछ सिलेंडर पुराने दिखते हैं लेकिन वे सही होते हैं। गैस सिलेंडर खुले में ब्लास्ट हो जाए तो 100 से 150 फीट तक तबाही मचा सकता है। इससे पांच सेकंड में विकराल आगजनी संभव है। सिलेंडर के टुकड़े इंसान की जान ले सकते हैं या उसे विकलांग बना सकते हैं। किचन या बंद स्थान पर ब्लास्ट होने पर 10 से 15 फीट के दायरे में रखी चीजें तहस-नहस होती हैं। ऐसे अधिकांश मामलों में एक्सपायर्ड सिलेंडर की भूमिका अहम होती है।
ऐसे पहचानें
सिलेंडर की पट्टी पर ए, बी, सी, डी में से एक लेटर के साथ नंबर होते हैं।
गैस कंपनियां 12 महीनों को चार हिस्सों में बांटकर सिलेंडरों का ग्रुप बनाती हैं।
‘ए’ ग्रुप में जनवरी, फरवरी, मार्च और ‘बी’ ग्रुप में अप्रेल मई और जून होते हैं। ऐसे ही ‘सी’ ग्रुप में जुलाई, अगस्त व सितंबर और ‘डी’ ग्रुप में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर होते हैं।
सिलेंडरों पर इन ग्रुप लेटर के साथ लिखे नंबर एक्सपायरी या टेस्टिंग ईयर दर्शाते हैं। जैसे ‘बी-12’ का मतलब सिलेंडर की एक्सपायरी डेट जून, 2012 है। ऐसे ही ‘सी-12’ का मतलब सितंबर, 2012 के बाद सिलेंडर का इस्तेमाल करना खतरनाक है।
हो सकता है बड़ा हादसा
एक्सपायर्ड या टेस्टिंग ड्यू डेट क्रॉस कर चुके सिलेंडरों के वॉल्व से लीकेज का खतरा होता है जो विस्फोट का कारण बन सकता है।
सिलेंडर डिलीवरी व्हीकल्स पर भी ऐसे सिलेंडरों से हादसे की आशंका रहती है और गोदाम में ये ब्लास्ट करें तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
ले सकते हैं एक्शन
एक्सपायर्ड सिलेंडर मिलने पर उपभोक्ता एजेंसी को सूचना देकर सिलेंडर रिप्लेस करा सकते हैं।
गैस एजेंसी के रिप्लेसमेंट से मना करने पर खाद्य या प्रशासनिक अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं।
इसे सेवा में कमी मानते हुए उपभोक्ता फोरम में मामला दायर कर सकते हैं।
होता है बीमा
गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा होता है। इसके तहत पीड़ित बीमा क्लेम कर सकता है। सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख रुपए तक देने का प्रावधान है। इसके लिए दुर्घटना होने के 24 घंटे के भीतर सम्बंधित एजेंसी व लोकल थाने को सूचना देनी होगी और दुर्घटना में मृत्यु होने पर जरूरी प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराना होगा। एजेंसी क्षेत्रीय कार्यालय और फिर क्षेत्रीय कार्यालय बीमा कंपनी को मामला सौंप देता है।
क्लेम की शर्तें
वैध गैस कनेक्शन होना चाहिए।
एजेंसी से मिली पाइप-रेग्युलेटर ही इस्तेमाल करें।
आईएसआई मार्क गैस चूल्हे का उपयोग।
लापरवाही से गैस के इस्तेमाल पर क्षतिपूर्ति नहीं।
गैस इस्तेमाल की जगह पर बिजली का खुला तार न हो।
चूल्हे का स्थान, सिलेंडर रखने के स्थान से ऊंचा हो।