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bhadohi tragedy : train hit school bus at unmanned railway crossing
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भदोही रेल हादसा: सबको रुला रहा है घटना स्थल का खौफनाक मंजर

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भदोही रेल हादसा: सबको रुला रहा है घटना स्थल का खौफनाक मंजर
bhadohi tragedy : train hit school bus at unmanned railway crossing
bhadohi tragedy
bhadohi tragedy : train hit school bus at unmanned railway crossing

भदोही। उत्तर प्रदेश के सन्त रविदास नगर (भदोही) जिले के कैयरमउ में हुए रेल हादसे से लोग दूसरे दिन भी नहीं उबर पाए हैं। जिन्होंने घटना का खौफनाक मंजर देखा उनकी जुबान बंध गई।

लेकिन जो लोग हादसा स्थल पर नहीं पहुंच पाए और जिन्होंने मीडिया के माध्यम से उस खौफनाक मंजर की खबरें और तस्वीरें पढ़ी और देखीं उनके मुंह से सिर्फ बस यही निकला…उफ! हे राम! यह क्या।

रेल हादसे के दूसरे दिन रेल टैक पर बिखरी मासूमों की स्कूली बैग, पानी की बोतल, जूते और किताबें घटना की याद बयां कर रहीं थी। यह वस्तुएं परिजनों और आम लोगों के लिए स्मारक बन गयी हैं। लोगों के दिमाग से यह हादसा उतर ही नहीं रहा है। स्कूली वैन और सवारी गाड़ी के मध्य हुई भिडंत में 25 जुुलाई को आठ मासूमों की जान चली गई थी।

परिजनों की तरफ पास के पचेवरा गंगा घाट पर मासूमों का दाह संस्कर कर दिया गया लेकिन इस हादसे ने परिजनों के सपने हमेशा के लिए छीन लिए। मां की गोंद जहां हमेशा के लिए सूनी हो गई। वहीं एक दूसरे के लिए भाई बहन का प्यार छीन गया। पिता के सपने लूट गए।

एक ही चिंताओं पर दो-दो मासूमों को अंनंत में विलीन किया गया। यह दृश्य देखकर आमसमान का भी कलेजा फट गया। गंगा की शांत लहरों भी उफान आ गया। लहरों को देख ऐसा लग रहा था मानों वे भी इन बेगुनाह मासूमों को तिलांजलि दे रही थी।

रेल टैक के बीच मासूमों के बेल्ट, जूते, कटे हाथ के पंजे और पैर 500 मीटर तक बिखरे पड़े थे। परिजनों ने शरीर के बिखरे टूकड़ों को खोज-खोज कर दाह संस्कार किया। मौत की ऐसी भयावह कल्पना तक नहीं की जा सकती है। रेल हादसे में एक ही परिवार के चार मासूमों की मौत हुई थी।

परिजनों के अनुसार अनिकेत आठ और नैतिक को एक की चिता पर जलाया गया। दोनों सगे भाई थे जबकि चचेरी बहन श्वेता और अभिषेक की लाशें बगल में जलाई गईं। इस हादसे से संदीप मिश्रा और परिजनों का बुरा हाल देखने को मिला। हादसे में इन मासूमों का सिर और पैर शरीर से अलग हो गया था। सावन का सोमवार परिजनों और चार गांव वालों के लिए काल बन गया। यह घटना आस्था पर सवाल भी खड़े करती है।

पिता जयशंकर तिवारी अपने बेटे प्रद्युम्न की चिता खुद अपने हाथों लगाते हुए बिलख पड़े। चिता पर धू-धू करती बेटे की लाश को देखकर वे दहाड़ मार कर गिर पड़े। इस हादसे में कैयरमउ, दीनानाथपुर, महादेवपुर के मासूमों की मौत हुई है।

पूर्वोत्तर रेलवे के अनुसार अर्पित, श्वेता, नैतिक, प्रद्युम्न, अनिकेत, अभिषेक, साक्षी और श्रेयांश की मौत हुई है। जबकि अविचल, आकंाक्षा, प्रफुल्ल, अंश और प्रत्युश की हालत घटना के दूसरे दिन भी नाजुक बनी हुई है।

इनका इलाज वाराणसी के टामा सेंटर और बीचएचयू के अलवा दूसरे अस्पतालों में चल रहा है। इसके अलावा सामान्य रुप से जिन मासूमों को चोट लगी हैं उनमें आयुष, राशिद, आर्यन, अंजली शामिल हैं। हादसे का शिकार हुए सभी मासूमों की उम्र 05 से 12 साल तक है।

घटना पर रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने दुःख जताया है। रेल मंत्रालय की तरफ से मरने वालों मासूमों के परिजनों को दो लाख गंभीर रुप से घायल के लिए एक लाख जबकि सामान्य के लिए 20 हजार की सहायता दी गई हैं लेकिन हादसे की भयावहता को देखते हुए यह नाकाफी है।

उधर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी घटना पर दुःख व्यक्त करते हुए दो-दो लाख की सहायता राशि की घोषणा की है। दूसरी बात स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

हादसा स्थल पर मौजूद कैयरमउ निवासी गुरुदयाल ने बातचीत में बताया कि चालक की पूरी तरह लापरवाही है। गेटमैन उसे रोक रहा था लेकिन वह रुका नहीं और मासूम बच्चों की वैन हादसे का शिकार हो गई। यह हादसा पूरी तरह चालक की लापरवाही से हुआ।

मानव रहित समपार पर तैनात गेटमैन वैन चालक को रोक रहा था लेकिन उसने कान में वाकमैन लगा रखा था जिसके कारण यह हादसा हुआ। स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अगर वक्त रहते प्रबंधन परिजनों की बात मान लिया होता तो शायद यह हादसा नहीं होता।