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मुस्लिम देश सऊदी अरब में भारत की जय-जय - Sabguru News
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मुस्लिम देश सऊदी अरब में भारत की जय-जय

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मुस्लिम देश सऊदी अरब में भारत की जय-जय
bharat mata ki jai slogans chanted in Muslim country Saudi Arabia
bharat mata ki jai slogans chanted in Muslim country Saudi Arabia
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अपने देश के प्रति वंदन भाव को मन में बिठाने वाले भारत देश में भले ही भारत माता की जय को लेकर विरोधाभास के स्वर मुखरित हो रहे हों, लेकिन विश्व के एक मुस्लिम देश में भारत माता की जय के नारे लगाना निश्चित ही हर व्यक्ति के सम्मान करने की परंपरा का हिस्सा माना जा सकता है।

वास्तव में विश्व के किसी भी धर्म का प्रथम कर्तव्य यही होता है कि वह दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए उसका आदर करे। सऊदी अरब में मुस्लिम महिलाओं ने भारत माता की जय बोलकर यही किया है। उन्होंने अपने धर्म की सार्थकता को सिद्ध किया है।

जिस प्रकार से भारत देश में भारत माता की जय बोलने के बारे में कुप्रचार किया जा रहा है, उससे तो यही लगता है कि देश में सुनियोजित तरीके से वातावरण को प्रदूषित करने का काम किया जा रहा है। जिसमें देश में रह रहे कुछ मुस्लिम लोग तो शामिल हैं ही साथ ही इनको राजनीतिक संरक्षण भी प्रदान किया जा रहा है।

अभी हाल ही में भारत में भारत माता की जय बोलने के बारे में फतवा जारी करके कहा गया कि भारत माता की जय बोलना इस्लाम के खिलाफ है। फतवा जारी करने वालों को सबसे पहले इस बात का अध्ययन करना होगा कि भारत माता की जय बोलना देश प्रेम की भावना को उजागर करने वाला एक सशक्त माध्यम है।

वर्तमान में भले ही भारत माता की जय का समर्थन करने वालों को भाजपा समर्थित बताया जा रहा हो, लेकिन हमें इस सत्य को भी स्वीकारना होगा कि जब भाजपा का जन्म भी नहीं हुआ था, तब से भारत माता की जय इस देश की हवाओं में विद्यमान है।

कौन नहीं जानता भारत को अंगे्रजों की मुलामी से मुक्त कराने के लिए इसी भारत माता की जय शब्द ने मंत्र का काम किया था। आज हम सभी जिस खुली हवा में सांस ले रहे हैं, वह इसी मंत्र के बोलने के बाद उत्पन्न हुई क्रांति का परिणाम है।

भारत माता की जय बोलना न तो किसी के विरोध में है और न ही किसी के समर्थन में। यह तो देश की खुशहाली के लिए एक ऐसा मार्ग है जिस पर हम सभी को चलना चाहिए। स्वतंत्रता प्राप्ति के चलाए गए आंदोलन में जिन महापुरुषों ने भाग लिया, उनमें केवल हिन्दू ही नहीं, बल्कि मुसलमान भी शामिल थे।

इन महापुरुषों ने गौरव की अनुभूति करते हुए भारत माता की जय के नारे लगाए। अब सवाल उठता है कि देश को बचाने के लिए नारे लगाने वाले महात्मा गांधी और अब्दुल कलाम आजाद क्या मुसलमान विरोधी काम किया था। वास्तव में अपने धर्म का सम्मान करना एक अलग बात है और देश भाव को प्रकट करना उससे बहुत ही अलग प्रकार की बात है।

जिस देश में स्वदेश भाव प्रकटीकरण करने में अपमान का बोध होता हो, उस देश के पतन को कोई ताकत नहीं रोक सकती। आज भारत देश जिस मार्ग पर चल रहा है, वह मार्ग निश्चित ही भारत की महानता को प्रकट करने का मार्ग है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यप्रणाली निश्चित ही भारत की साख को बढ़ाने का काम कर रही है। इनके कार्यों का वे ही लोग विरोध कर रहे हैं जो भारत का उत्थान नहीं चाहते।

ऐसे लोगों से देशवासियों को सावधान रहने की आवश्यकता है। एक मुस्लिम विद्वान का कहना है कि भारत माता की जय बोलना हमारे धर्म के विरोध में है। उनसे मैं यही कहना चाहूंगा कि यह केवल उनके मन की कल्पना है। इस नारे में भारत में रह रहे सभी धर्मों के लोगों के लिए जीवन की कल्पना का मार्ग छुपा हुआ है।

भारत का मुस्लिम समाज जिस प्रकार से अपने लिए व्यवहार की अपेक्षा करता है, उसी प्रकार की अपेक्षा भारत में रह रहे अन्य समाज के नागरिक भी करते हैं। भारत के विद्वानों का यह भी मानना है कि जिस प्रकार से देश का हिन्दू समाज सभी धर्मों के प्रति आदर का भाव रखते हुए कार्य करता है, उसी से देश में सद्भाव का वातावरण बना हुआ है।

हिन्दुओं के अलावा सभी सम्प्रदाओं के लोग तो केवल अपने ही धर्म की बात करते हैं। उन्हें दूसरे के धर्म में किसी प्रकार का अपनापन दिखाई नहीं देता। इस प्रकार का भाव ही कट्टरता का वातावरण तैयार करता है। वर्तमान में हिन्दू धर्म के लोग ही सभी सम्प्रदाओं के पूजा स्थलों पर जाता है, लेकिन अन्य धर्मों के लोग हिन्दू पूजा स्थलों पर कभी नहीं जाता। क्या इसी को सद्भाव कहते हैं?

हिन्दुस्तान के प्रत्येक नागरिक का प्रथम कर्तव्य यही होना चाहिए कि सारे विश्व में भारत की जय जय कार हो। सऊदी अरब में जिस प्रकार से वहां की मुस्लिम महिलाओं ने भारत माता की जय के नारे लगाए, उससे भारत में निवास करने वाले मुसलमानों को भी सीख लेना चाहिए। क्योंकि किसी भी प्रकार के फतवे जारी करने से कट्टरता पैदा होती है और कट्टरता हमेशा स्वयं का ही दुश्मन माना जाता है। इससे दूसरे समाज में उसी प्रकार का भाव पैदा हो सकता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सऊदी अरब की सफलतम यात्रा के निहितार्थ तलाशे जाएं तो यह कहना भी तर्कसंगत ही होगा कि प्रधानमंत्री ने खाड़ी देशों से जिस प्रकार से व्यापारिक संबंध बनाने की शुरुआत की है, वह भारत की प्रगति की दिशा में उठाया गया एक चमत्कारी कदम है।

इसके अलावा विश्व स्तर पर जिस प्रकार से आतंकवाद पैर पसार रहा है। उसको जब तक संरक्षण मिलेगा, तब तक उसे समाप्त नहीं किया जा सकता। हम जानते हैं कि आतंकवादियों को धनी मुस्लिम देशों से धन मुहैया कराया जाता है। इस प्रकार के सहयोग को रोकने से ही आतंकवाद पर लगाम लगाई जा सकती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रत्येक विदेश दौरे में जिस प्रकार से भारत की जय जयकार हुई है। वह भारत की सफलता को ही दर्शाता है। हालांकि इससे पूर्व मनमोहन सिंह भी सऊदी अरब की यात्रा कर चुके हैं, लेकिन उनके दौरे में भारत माता की जय का प्रदर्शन नहीं हुआ। इस बार ऐसा वातावरण दिखाई दिया कि सऊदी अरब भारत ही दिखाई देने लगा।

यह बात हम सभी जानते हैं कि सऊदी अरब की महिलाओं को हमेशा ही नकाब में ही रहना होता है, इसके अलावा वह किसी भी मर्द के साथ खड़ी भी नहीं हो सकतीं, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री के दौरे के समय मुस्लिम महिलाएं अपने चेहरे से नकाब हटाकर भारत माता की जय बोल रहीं थीं।

इसका मतलब यह कतई नहीं है कि महिलाएं वहां के नियम कानूनों को तोड़कर हर समय अपना चेहरा खुला रखें, परंतु यह जरूर है कि दूसरे के भावों का सम्मान करना हर किसी का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए और उन महिलाओं ने ऐसा ही करके भारत के प्रति अपने प्रेम को उजागर कर दिया। भारत माता की जय।

सुरेश हिंदुस्थानी