नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने भारतीय महिला बैंक का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में विलय करने का निर्णय लिया है। इससे महिलाओं को मिलने वाली बैंकिंग सेवाओं में गति आएगी।
व्यापक नेटवर्क के जरिये महिलाओं को सस्ते ऋण के साथ महिला केंद्रित उत्पादों के प्रचार जल्द और कम लागत में हो पाएगा। सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार एसबीआई के साथ बीएमबी को विलय करने का निर्णय एसबीआई के बड़े नेटवर्क सहित अन्य तथ्यों को ध्यान में रखकर किया गया है।
बीएमबी की स्थापना के तीन सालों में महिला कर्जदारों को 192 करोड़ रुपए का ऋण दिया गया है। वहीं एसबीआई समूह ने महिलाओं को 46 हजार करोड़ रुपए का कर्ज दिया है। एसबीआई के पास 20,000 से ज्यादा शाखाएं हैं और इस क्षेत्र में फंड की सबसे कम लागत है।
एसबीआई में लगभग 2 लाख कर्मचारी है जिनमें से 22% महिलाएं हैं। एसबीआई समूह की पहले से ही देश भर में 126 महिलाएं शाखाएं हैं, जबकि बीएमबी में केवल सात हैं।
बीएमबी में प्रशासनिक और प्रबंधकीय लागत का अनुपात बहुत अधिक है। उसी लागत में एसबीआई के माध्यम से महिलाओं को ज्यादा मात्रा में ऋण दिया जा सकता है।