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बिहार : डेढ़ लाख करोड़ से अधिक के बजट में कोई नया कर नहीं - Sabguru News
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बिहार : डेढ़ लाख करोड़ से अधिक के बजट में कोई नया कर नहीं

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बिहार : डेढ़ लाख करोड़ से अधिक के बजट में कोई नया कर नहीं
bihar government presents Rs 1.60 lakh crore budget in assembly
bihar government presents Rs 1.60 lakh crore budget in assembly
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पटना। बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सोमवार को महागठबंधन सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 201718 का बजट पेश किया। पहली बार डेढ़ लाख करोड़ से अधिक (1 लाख 60 हजार करोड़) पूंजीगत व्यय का अनुमान लगाया गया है।

बजट में पिछड़ों के कल्याण और कैशलेश टैक्स कलेक्शन पर जोर दिया गया है। वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने विधानसभा में इस वर्ष का बजट पेश करते हुए कहा कि नोटबंदी का बिहार पर कोई असर नहीं पड़ने देंगे।

वित्तमंत्री ने कहा कि इस साल के बजट में महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर खास फोकस किया गया है। बुनकरों की स्थिति बेहतर करने की जरूरत है। इसके लिए उनके कौशल विकास पर खासा ध्यान दिया गया है।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था बहते पानी की तरह होता है, हमेशा बदलती रहती है। वित्त मंत्री ने कहा कि बिहार में बैंकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। खाताधारियों को प्लास्टिक मनी देने पर जोर दिया जाएगा। नये वित्तीय वर्ष में सुधार पर जोर रहेगा। नोटबंदी के बाद के झंझावातों से उबरने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। नोटबंदी का बिहार पर असर नहीं पड़ेगा।

अभियान चलाकर पीओएस मशीनें लगाई जाएगी और कर की चोरी रोकने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बजट में वित्त मंत्री ने बुनकरों के लिए बड़ा एलान किया है। बजट मुख्यमंत्री के सात निश्चय कार्यक्रम पर केंद्रित रहा है।

वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कुल 1.66 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया जिसे पहले ही मंत्रिपरिषद से स्वीकृति मिल चुकी थी। नए बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क और कृषि समेत सात निश्चय कार्यक्रम के तहत होने वाले कार्यों को प्राथमिकता दी गई है।

प्राथमिकता के आधार पर सात निश्चय की योजनाओं को राशि आवंटित की गई है। बजट की मुख्य बातें 1 लाख 60 हजार 085.69 करोड़ का है बजट, पिछले बार से 15 हजार करोड़ का ज्यादा का बजट पेश किया गया।

गैर योजना और योजना आकार का अंतर खत्म , 201718: राज्य का राजकोषीय घाटा 18 हजार 112 करोड़ के होने का अनुमान है, जो राज्य जीडीपी का 2.87 प्रतिशत, शिक्षा विभाग में 25 हजार 251.39 का बजट प्रावधान किया गया है।

स्वास्थ्य में 7 हजार 1 करोड़ का प्रावधान, कल्याण में 9 हजार 439 करोड़ का प्रावधान, 1460 करोड़ रुपया प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में राज्य मद के व्यय के लिए और 410.00 करोड़ रुपया और पिछड़े वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति के वजीफे के लिए दिया गया है ।

जनता को धोखा देने वाला बजटः मंगल पांडेय

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने बजट पर कहा कि नीतीश सरकार का सन् 2017-18 का बजट जनता को धोखा देने वाला है। उन्होंने कहा कि अपने बीस मिनट के अति संक्षिप्त बजट भाषण में सरकार ने अपनी नाकामियों को छिपाने की कोशिश की है।

बिहार सरकार के 2017-18 के बजट पर उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह नीरस है। न तो इसमें राज्य सरकार की कोई नीति दिखी और न ही सरकार का कोई वीजन ही और तो और इस बजट में कोई नई घोषणा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि बजट कोे पूरी तरह केन्द्र के पैसे पर आधारित है।

बजट पर आश्चर्य जताते कहा कि कई महत्वपूर्ण विभागों की बजट राशि को पिछले साल की तुलना में कम कर दिया गया है। मसलन ऊर्जा विभाग में 1796 करोड़, स्वास्थ्य विभाग में 1775 करोड़, श्रम विभाग में 330 करोड़, खाद्य एवं उपभोक्ता विभाग में 500 करोड़ की राशि गत वित्त वर्ष के बजट में प्रावधानित राशि से कम कर दी गई है।

इसी से इस बात का सहज रूप से अंदाज लगाया जा सकता है कि ऊर्जा, स्वास्थ्य, श्रम एवं खाद्य एवं उपभोक्ता से जुड़े मसलों के बारे में सरकार की मंशा क्या है? पांडेय ने कहा कि विकास, गरीबी उन्मूलन और वित्तीय स्थायित्व का दावा करने वाले इस बजट का मुख्य फोकस केन्द्र से मिल रहे करोड़ों रूपए से चल रही योजनाओं को समेट कर बना नीतीश कुमार के सात निश्चय पर है।

बजट में इस बात की चर्चा नहीं की गई है कि इस सात निश्चय के लिए राज्य सरकार धन कहां से लाएगी। दरअसल 2017-18 का बजट जनता की आंखों में धूल झोंकने वाला बजट है। इसमें जनकल्याण की योजनाओं का कोई वास्ता नहीं है यह सिर्फ नीतीश कुमार की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने वाला है बजट है।