पटना। विधान परिषद् चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवारों की हुई फजीहत को लेकर जदयू व राजद में खटास उत्पन्न होता जा रहा है।
चुनाव में हार का ठीकरा जदयू जहां राजद पर फोड़ा है वहीं राजद का कहना है कि इस चुनाव में गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया गया है। इस सब मामले के बावजूद भी राजद सुप्रीमों मौनी बाबा बने हुए हैं।
विप के 24 सीटों का चुनाव परिणाम मिलते हीं राजद और जदयू में घमासान शुरू हो गया है। महागठबंधन के दोनों दल के नेताओं का कहना है कि नीतीश-लालू के गठबंधन का लाभ नहीं मिल पाया।
इस चुनाव में सीटों का बंटवारा भी दोनों दलों के नेताओं ने अपने-अपने हिसाब से किया जिसका परिणाम सामने आया है। पटना जैसी सीट भी महागठबंधन के खाते में न आकर जेल में बंद निर्दलीय उम्मीदवार रीतलाल यादव ने जीत ली।
हालांकि इस जीत के पीछे जदयू के लोग राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद का हाथ बता रहे हैं। यह इस बात से भी साबित हो गया है कि रीतलाल यादव राजद का महासचिव रहते हुए महागठबंधन के उम्मीदवार के खिलाफ जेल से नामांकन किया। लेकिन राजद की ओर से रीतलाल पर पार्टी विरोधी होने का न तो कोई आरोप लगाया गया और नहीं अब तक पार्टी ने कोई कार्रवाई की है।
विप चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस चुनाव के परिणाम ने आंखें खोल दी है। उन्होंने यह भी कहा कि इस चुनाव से विधानसभा चुनाव अलग होता है। इसलिए अब सोच-समझ और रणनीति के तहत चुनाव लड़ने का सबक मिला है।
लेकिन इनके पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना था कि इस चुनाव में लालू प्रसाद का रूतबा देखने को मिला लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उनके द्वारा चुनाव में मैंनेजमैंट की कमी के कारण महागठबंधन नेताओं को हार का सामना करना पड़ा हैं।
त्यागी ने तो यहां तक कह दिया कि लालू प्रसाद अपनी पार्टी का वोट ट्रांसफर कराने में असफल रहे हैं। जिसके कारण जदयू उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है।
जदयू के प्रदेष अध्यक्ष वशष्ठ नारायण सिंह ने विधान परिषद चुनाव में महागठबंधन की हार से आहत होकर कहा कि अब महागठबंधन पर फिर से विचार करना होगा। उनका कहना था कि एक हाथ से रोटी नहीं पकती। इस चुनाव में भी यहीं हुआ है।
राजद के नेताओं ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया जिसका खामियाजा जदयू उम्मीदवारों को भुगतना पड़ा हैं। उन्होंने कहा कि जदयू ने तो अपनी जीती हुई सीट अपने सहयोगी दल राजद और कांगे्स को दे दी। लेकिन इन दलों ने जदयू के हित में काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि हमने अपना खोकर दूसरा की मदद की थी लेकिन दूसरों ने हमें धोखा दिया है।
विप चुनाव में महागठबंधन के हार पर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि बिहार में विधानसभा के उपचुनाव के बाद राजद-जदयू में तालमेल की कमी रहीं। गठबंधन भी सिर्फ कहने का हुआ।
उनका कहना था कि मुंह से बोल देने से गठबंधन नहीं होता बल्कि गठबंधन धर्म का पालन करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जदयू के लोग कहीं भी गठबंधन के तौर पर चुनाव प्रचार करने नहीं गए। राजद के उम्मीदवार अपने बलबूते पर चुनाव जीते हैं।
उनका यह भी कहना था कि यदि गठबंधन के तहत चुनाव प्रचार होता तो पटना सीट से जदयू के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर नहीं रहते। सत्ताधारी दल होते हुए भी जदयू उम्मीदवार को नहीं जीता पाया जबकि जदयू का उम्मीदवार मुख्यमंत्री के जाति का था।
राजद के विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दकी का भी कहना है कि महागठबंधन के तहत इस विधान परिषद के चुनाव में कोई प्रक्रिया नहीं अपनायी गई। महागठबंधन में शामिल तीनों दलों के नेताओं ने कहीं भी संयुक्त रूप से प्रचार किया और नहीं कोई अपील जारी की। जिसका नतीजा चुनाव पर पड़ा।