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Bihar mahagathbandhan Tug of War
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बिहार के महागठबंधन में ‘गांठ’ हुई और सख्त

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बिहार के महागठबंधन में ‘गांठ’ हुई और सख्त
Lalu, Nitish to cool off tempers between two JD(U), RJD
Lalu, Nitish to cool off tempers between two JD(U), RJD
Lalu, Nitish to cool off tempers between two JD(U), RJD

पटना। बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार को लेकर बनी ‘गांठ’ भ्रष्टाचार के वर्षो पुराने मामले में फंसे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद के इस्तीफे को लेकर और सख्त हो गई है।

हालांकि इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल युनाइटेड के बीच खिंची तलवार को किसी भी दल ने फिर से म्यान में रखने की कोशिश अब तक नहीं की है। वैसे, दोनों दल अपने बयानों से सियासी दांव-पेच भी आजमा रहे हैं।

तेजस्वी के खिलाफ मामला वर्ष 2004 का है, जब वह 14 साल के थे और उनके पिता देश के रेलमंत्री थे। आरोप है कि उन्होंने रेलवे के दो होटल बनवाने का लाइसेंस एक निजी कंपनी को दिलाया और उसके एवज में उन्हें पटना में तीन एकड़ जमीन दी गई।

जद (यू) जहां भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति को ही सियासी थाती कहकर इसे पार्टी की मूल पूंजी बताकर राजद पर निशाना साध रही है, वहीं राजद संख्याबल को लेकर जद (यू) पर निशाना साध रही है।

जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि नैतिकता और भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति की बदौलत पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार की छवि बेदाग रही है। इसे लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि जद (यू) अपने सहयोगी दल से केवल भ्रष्टाचार के लगाए गए आरोपों का ही तो जवाब मांग रही है। ऐसे में संख्याबल के ‘बब्बर शेर’ का भय दिखाना सही नहीं है। नीतीश के चेहरे पर ही महागठबंधन को जनादेश प्राप्त हुआ है।

वैसे देखा जाए, तो नीतीश की राजनीतिक छवि अभी तक बेदाग रही है, जबकि राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद के राजनीतिक फैसलों में उनका परिवार ही सवरेपरि रहा है। नीतीश ने पूर्व में जीतन राम मांझी और रामानंद सिंह से लिए इस्तीफे के साथ गैसल रेल दुर्घटना पर खुद के दिए इस्तीफे का उदाहरण भी रखा है।

राजनीति के जानकार और पटना के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर भी मानते हैं कि सत्ताधारी महागठबंधन में ‘गांठ’ अब और मजबूत हो गई है, लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि आज की परिस्थिति में सभी की निगाहें नीतीश कुमार पर टिकी हुई हैं।

उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में महागठबंधन के घटक दलों के कई नेता महागठबंधन को अटूट मान रहे हैं, लेकिन हालात काफी नाजुक दौर में पहुंच गए हैं।

किशोर कहते हैं कि महागठबंधन में शामिल दल भले ही एक-दूसरे पर बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन इसमें भी सियासी दांव खेला जा रहा है। जद (यू) नीतीश कुमार की स्वच्छ छवि को भुनाने की कोशिश में है, जबकि राजद आम-अवाम और संख्याबल का हवाला देकर सहयोगी दल को अपना ‘वोट बैंक’ दिखा रहा है।

ऐसे में अब दोनों दलों के तेवर सख्त होते जा रहे हैं। तेजस्वी से जनता के समक्ष तथ्यात्मक जवाब देने की मांग कर चुके जद (यू) के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने तेजस्वी को राजधर्म की याद दिलाते हुए दो टूक कहा है कि उन पर फैसला तो होना ही है।

जद (यू) के प्रवक्ता नीरज ने शुक्रवार को कठोर लहजे में कहा कि सीबीआई ने जो आरोप लगाए हैं, उसका जवाब दिया जाना चाहिए।

उधर, राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने गुरुवार को जद (यू) से दो टूक कहा था कि उनकी पार्टी के पास 80 विधायक हैं और पार्टी जो चाहेगी वही होगा। किसी के कह देने से तेजस्वी इस्तीफा नहीं देंगे।

उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद और बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं उनके बेटे तेजस्वी यादव सहित उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने बीते शुक्रवार को पटना सहित देशभर के 12 स्थानों पर छापेमारी की थी।

भ्रष्टाचार के मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जद (यू), मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बेदाग छवि को लेकर तेजस्वी पर इस्तीफे के लिए दबाव बना रही है।

महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और जद (यू) शामिल हैं, जिसका नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे हैं। इस बीच खबर आई है कि नीतीश ने इस विवाद में कांग्रेस से मध्यस्थता करने को कहा, मगर उसने इनकार कर दिया है।