पटना। हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने भागलपुर के साबौर कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि घोटालों के मामले में नीतीश कुमार लालू यादव की कान काट दिए हैं। साबौर कृषि विश्वविद्यालय में 2012 में असिस्टेंट प्रोफेसर और जूनियर वैज्ञानिकों के 281 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था। जिसमें 2500 लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और 166 लोगों की नियुक्ति भी हो गई।
इस भर्ती में नीतीश कुमार के इशारे पर बिहारी छात्रों के करियर और भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है। उन्होंने कहा कि मेरिट लिस्ट में सबसे ज्यादा शैक्षणिक योग्यता वाले अभ्यर्थियों को जिन्हें मेरिट में 80 में से 55 से 62 के बीच नंबर मिले थे, उन्हें इंटरव्यू और प्रेजेंटेशन में 0.1 नंबर देकर रेस से ही बाहर कर दिया गया।
जबकि मेरिट में कम अंक वालों को इंटरव्यू में इंटरव्यू लेने वाली 5 सदस्यों की टीम ने 20 अंक देकर बहाल कर दिया गया है। इसी तरह दलित दलित उम्मीदवार को एससी कोटे में सीमित करने के लिये इंटरव्यू में 1-1 नंबर दिया गया। ताकि वे जेनरल सीट पर फाइट न कर सकें।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बिहारी अस्मिता की बात करते हैं पर हकीकत में बिहारियों की प्रतिभा का हनन और अपमान सबसे ज्यादा नीतीश कुमार ही करते हैं। ये बिहारी प्रतिभा के साथ किया गया सबसे बेहूदा मजाक है।
इतना ही नहीं इस संबंध में आरटीआई यानी सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई थी लेकिन बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने इसे देने में तीन साल लगा दिए। इस यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी मेवालाल चौधरी को नीतीश कुमार ने इस फर्जीवाड़े के इनाम के रूप में जदयू का टिकट देकर तारापुर से विधायक बना दिया है।
यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अरुण कुमार तो यहां तक कहते हैं कि चयन समिति का फैसला आखिरी होता है जिसे अदालत में भी चुनौती नहीं दी जा सकती। हम बिहारी प्रतिभा के साथ हुए इस धोखाधरी को कतई बर्दास्त नहीं कर सकते। इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराया जाय। नहीं तो हम बिहार के छात्रों को न्याय दिलाने के लिये सड़क पर आंदोलन करेंगे।