पटना। बिहार में नशामुक्ति के समर्थन में शनिवार को राज्य में विश्व की सबसे बड़ी मानव शृंखला बनाई गई और इस प्रदेश व्यापी शृंखला में दो करोड़ से अधिक लोग 45 मिनट तक एक-दूसरे का हाथ थाम कर इसका साक्षी बने जो अपने आप में अनोखा था।
पटना के गांधी मैदान में आयोजित मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुब्बारा उड़ाकर समारोह का उद्घाटन किया। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव,राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए।
वहीं सरकार का दावा है कि कुल 11 हजार 292 किलोमीटर की इस मानव शृंखला में 2 करोड़ से अधिक लोग शामिल होकर शृंखला का नया विश्व रिकार्ड बनाया गया है। पटना के गांधी मैदान के 8.5 एकड़ एरिया में नक्शे के अंदर बिहार का नाम और शराब के बोतल को क्रास करती हुई मानव शृंखला की आकृति बनाई गई।
शृंखला का मुख्य केंद्र बिंदु गांधी मैदान था, यहीं से चार शृंखलाएं निकलिलों में कड़ी बनायी हुयी थी। नक्शे के किनारे पर करीब 5463 लोग एक दूसरे की हाथ थामे खड़े हुए थे। मानव शृंखला का मुख्य हिस्सा पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण एनएच व एसएच पर 3007 किमी लंबा था इसमें करीब 56 लाख लोग शामिल हुए।
वहीं उत्तर बिहार में मानव शृंखला का प्रस्तावित रूट 1821 किमी का था, जबकि दक्षिण बिहार में प्रस्तावित रूट 1186 किलोमीटर बना हुआ था। उत्तर बिहार की शृंखला दक्षिण बिहार से महात्मा गांधी सेतु, राजेन्द्र सेतु और बिक्रमशिला सेतु पर मिली जबकि जिलों के अंदर की सड़कों पर 8285 किलोमीटर लंबी मानव शृंखला बनेगी, जिसमें 1.5 करोड़ लोगों भाग लिए।
इस शृंखला को विश्व रिकॉर्ड में शामिल कराने के लिए लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड से भी पंजीकरण कराया गया है। इसके लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के प्रतिनिधि पटना में मौजूद है। यह राज्यव्यापी मानव शृंखला शनिवार को दिन के 12:15 बजे से शुरू होकर एक बजे तक बनी रही।
इस ऐतिहासिक पल को कैमरे में कैद करने के लिए प्लेन, हेलिकॉप्टर और ड्रोन के साथ 5 सैटेलाइट, 38 ड्रोन व 6 हेलिकॉप्टर से इस पल को शहर से लेकर जिलों तक की फोटी ली गई। उपग्रह की मदद से 6 जिलों में फोटोग्राफी भी कराई गई। ये छह जिलों पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, जहानाबाद और गया है।
इसरो के कार्टोसैट सैटेलाइट और विदेशी उपग्रह मानव शृंखला की तस्वीरें ले रही थी। इसके लिए टीम पहले से ही पटना में कैम्प कर रही थी। मानव शृंखला बनाने में सहयोग करने के लिए शिक्षा विभाग ने सभी जिलों में पदाधिकारियों को तैनात किया गया था। साथ ही विभाग के सचिव, अपर सचिव और निदेशकों को भी अलग-अलग प्रमंडलों में दायित्व सौंपा गया था।
इसके अलावा तमाम राजनीतिक दलों से भी समर्थन मिला हुआ था जो सहयोग प्रदान कर रहे थे। पटना में चार मार्गों पर मानव शृंखला बनाई गई। दोपहर 12.15 बजे से लेकर एक बजे तक मानव शृंखला को ध्यान में रखते हुए शहरी यातायात पर लगभग चार घंटे प्रभावित रहा। हालांकि मीडिया, एंबुलेंस, अग्निसेवा वाहन, पानी टैंकर, मरीज की गाड़ी के आवागमन पर रोक नहीं था।
शहर के विभिन्न ऑटो यूनियन चालकों और बस यूनियन के लोगों ने सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर तीन बजे से मुख्य रूटों पर वाहन नहीं चलाने पर पहले से ही सहमत थे। जिन रूटों पर मानव शृंखला बनेगी, उन पर विशेष रूप से रोक रही। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की आेर से शहर में चलने वाली नगर सेवा की कुल 90 बसों के परिचालन नहीं हुआ।
इसके अलावा शहर के बाहर मुजफ्फरपुर, दरभंगा से लेकर अन्य जगहों पर जानेवाली बसों का परिचालन भी तीन बजे के बाद से शुरू किया गया। पटना में अशोक राजपथ, गांधी मैदान, पटना जंकशन, बेली रोड, सगुना मोड़, दानापुर से लेकर अन्य सभी प्रमुख मार्ग।
बिहार में नशामुक्ति के लिए जागरूकता फैलाने और सामाजिक परिवर्तन के लिए मानव शृंखला कार्यक्रम की समाप्ति के बाद राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि सेटॅलाइट ने इस शृंखला की तस्वीरें बिहार सरकार को भेजी हैं। इस मानव शृंखला की एक-एक गतिविधि पर सीसी टीवी, 38 ड्रोन की मदद से नज़र रखी गई थी। हर जिले को एक-एक ड्रोन मुहैया कराया गया था।
लोगों पर निगाह रखने के साथ साथ ड्रोन मानव शृंखला की फोटोग्राफी भी कर रहा था। मानव शृंखला की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के लिए इस दौरान हेलीकॉप्टर और छोटे हवाई जहाज आसमान में उड़ते रहे।
लगभग 11292 किलोमीटर में बनी विश्व की अब तक की यह सबसे लंबी मानव शृंखला थी जिसने बांग्लादेश में अवामी लीग की ओर से सरकार के खिलाफ वर्ष 2004 में बनाई गई 1050 किलोमीटर लम्बी मान शृंखला का रिकॉर्ड तोड़ दिया। पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में खुले में शौच के खिलाफ 2015 में 122. 3 किलोमीटर लम्बी मानव शृंखला बनी थी जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिला था।
सिंह ने बताया कि कड़ी सुरक्षा और अन्य प्रशासनिक व्यवस्था के बीच बिहार में शनिवार को बनी विश्व की अब तक की सबसे लम्बी मानव शृंखला को गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में शामिल करने के लिए प्रयास किया जाएगा। मानव शृंखला के रिकॉर्ड को देखने के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की टीम बिहार में कैंप कर रही थी।
मानव शृंखला बनने के दौरान किसी भी तरह की कोई अप्रिय घटना नहीं होने, अन्य आवश्यक सेवाएं और आवागमन सुचारू रूप से चलती रहने के लिए प्रशासन पूरी तरह सतर्क था। शनिवार को बनी मानव शृंखला पटना के गांधी मैदान से शुरू हो कर गोपालगंज के बथनाकुटी में उत्तर प्रदेश की सीमा को छू रही थी, अररिया के ठाकुरगंज में नेपाल की सीमा को, पूर्णिया के डालकोला में बंगाल का बॉर्डर तथा बांका जिले के कटोरिया में झारखंड की सीमा तक पहुंच चुकी थी।
इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने मानव शृंखला के मार्ग के बारे में विस्तार से बताया कि इसका मुख्य हिस्सा पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक लगभग 3007 किमी लंबा था। उत्तर बिहार में 1821 किमी जबकि दक्षिण बिहार में 1186 किलोमीटर का था।
उत्तर बिहार की शृंखला दक्षिण बिहार से महात्मा गांधी सेतु, राजेन्द्र सेतु और विक्रमशिला सेतु पर मिली। सूत्रों ने बताया कि जिलों के अंदर की सड़कों पर 8,285 किमी लंबी शृंखला बनी। इधर गांधी मैदान के 8.5 एकड़ भूमि पर मानव शृंखला ने बिहार का नक्शा बनाया जिसके अंदर बिहार का नाम और शराब की बोतल को क्रॉस करती तस्वीर दिखाई गई।
मानव शृंखला के निर्माण के समय उन सभी सड़कों पर जहां-जहां से यह शृंखला गुजरी उनपर दस बजे सुबह से दोपहर तीन बजे तक यातायात बंद कर दिया गया था। हालांकि जगह जगह पर एम्बुलेंस तैनात थे और पीने के पानी की भी व्यवस्था की गई थी।