नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन लोकसभा में किराये की कोख पर रोक लगाने संबंधी विधेयक पेश किया गया। इसमें महिलाओं को उत्पीड़न से संरक्षण और सरोगेसी से जन्मे बच्चे के अधिकारों को सुनिश्चित करने के प्रावधान हैं।
नोटबंदी पर विपक्ष के हंगामे व भारी शोरगुल के बीच स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2016 सदन में पेश किया। संसद से विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद व्यावसायिक सरोगेसी पर पूरी तरह रोक लग जाएगी, लेकिन जरूरतमंद निसंतान दंपतियों को सरोगेसी से बच्चा पाने की अनुमति रहेगी।
विधेयक के तहत केवल भारतीय नागरिकों को ही सरोगेसी के इस्तेमाल की इजाजत होगी। लेकिन विदेशियों, एनआरआई और पीआईओ को देश में सरोगेसी का लाभ उठाने की इजाजत नहीं होगी। समलैंगिकों, अकेले माता-पिता और लिव-इन में रहने वाले जोड़ों को सरोगेसी का अधिकार नहीं होगा।
संतान वाले दंपतियों को सरोगेसी का लाभ उठाने की इजाजत नहीं होगी। हालांकि वे एक अलग कानून के तहत बच्चे को गोद लेने के लिए स्वतंत्र होंगे। गौरतलब है कि फिलहाल भारत में सरोगेसी को लेकर कोई कानून नहीं है जिसकी वजह से विदेशी दंपति यहां सरोगेसी से बच्चे की चाह में आते रहे हैं।
https://www.sabguru.com/india-proposes-commercial-surrogacy-ban-now-live-ins-homosexuals-worst-hit/
जरूरत के नाम पर शुरू की गई सेरोगेसी अब शौक बन गई : सुषमा