जम्मू। महबूबा मुफ्ती का जम्मू व कश्मीर राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनना एक इतिहास है। उनका राज्य की राजनीति में आना समाज में लिंग समानता एवं सषक्तिकरण में नवीनता लाने का संकेत है।
महबूबा का जन्म अनंतनाग जिले के नोवपोरा अखरन में 22 मई 1959 में हुआ था। महबूबा जम्मू कष्मीर में ही नहीं बल्कि पूरे देष में राजनीतिक नेता के रूप में पहचानी जाती हैं।
महबूबा जम्मू व कश्मीर राजनीति में प्रभावशाली ताकत है तथा पीडीपी अध्यक्ष महबूबा ने अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद तथा 1999 में उनके सहयोगियों से मिलकर पीडीपी की स्थापना की।
महबूबा को राजनीतिक सक्रियतावादी आधारित जीवन में पीडीपी को एक प्रभावशाली क्षेत्रीय राजनीतिक दल बनाने का श्रेय महबूबा को जाता है। उन्होंने 2008 में पार्टी की भागडोर को अपने हाथ में लिया तथा राज्य में 2014 विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने लाया।
जम्मू कश्मीर में राजनीतिक स्थितियों को देखते हुए महबूबा को आगे लाया गया क्योंकि उस समय जम्मू कश्मीर राज्य हिंसा की निराशाजनक परिदृश्य से ग्रस्त था तथा उसके बुरे नतीजों से राज्य को राजनैतिक-आर्थिक स्तर पर हानि हुई थी।
उस समय की दुखद घटना से परेशान होकर, महबूबा तथा उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने निर्णय लिया कि वे लोगों के बीच जाएंगे तथा नागरिकों एवं राज्य के लोगों के मध्य टूटे सम्पर्क की पुनः स्थापना करेंगे।
उन्होंने निर्णय लिया कि वे उनके दिलों में नई आशा जगाने तथा राजनैतिक प्रक्रिया भागीदारी के माध्यम से उनके भाग्य को नई दिशा में ले जाएंगे। राज्य के राजनेताओं में से वह पहली ऐसी राजनेता रही है जिन्होंने बिना किसी एस्कार्ट, सेलफोन एवं अन्य किसी सुविधा के राज्य के कोने-कोने मे जाकर लोगों के साथ सम्पर्क स्थापित किया।
2002 विधानसभा चुनाव में, लोगों ने राज्य में एक वैकल्पिक राजनीतिक दल के तौर पर पीडीपी को अवसर दिया तथा जे एंड के में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए उस समय ‘हिलिंग टच‘ नीति अधिक प्रसिद्ध हुई जबकि मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य से आतंकवाद जैसी घटनाओं को कम करने के लिए कदम उठाए तथा महबूबा ने जमीनी स्तर पर उस समय की सरकार द्वारा उठाए गए राजनीतिक -आर्थिक उपायों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एक राजनीतिक की बेटी होने के नाते महबूबा मुफ्ती ने परम्परागत कश्मीरी संस्कृति को आगे बढ़ाया। उनके जीवन में दो महत्वपूर्ण व्यक्ति रहे है-एक उनके पिता मुफती मोहम्मद सईद तथा दूसरे उनके दादा गुलाम मुस्तफा नाजिन जिनके साथ उन्होंने अपने जीवन का अधिकतर समय व्यतीत किया।
उन्होंने श्रीनगर प्रैजेंटेशन कान्वेंट स्कूल से अपनी शिक्षा शुरू की तथा सरकारी महिला कालेज परेड जम्मू से अंग्रेजी में स्नातक की परीक्षा पास की। उन्होंने कश्मीर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री के लिए आगे पढ़ाई शुरू की तथा शीघ्र ही उनका विवाह हो गया। इसके उपरांत उन्होंने कानून की डिग्री पूरी की।
पंरतु उनके विवाह में कुछ समय उपरांत समस्याएं आनी शुरू हो गई। अक्तूबर 1989 में वह नई दिल्ली स्थानातंरन हो गई तथा मुम्बई, मेरीकेटल बैंक के साथ जुड़ी ताकि वह अपनी बच्चियों की अच्छी तरह से देखभाल कर सके। उन्होंने कुछ समय ईस्ट वेस्ट एयरलाइंस में कार्य किया।
महबूबा ने नौकरी छोड़कर राज्य की ओर अपने पिता के राजनीतिक कार्यो में सहायता करने के लिए रूख किया। उन्होंने जिला अनंतनाग से सम्बंधित क्षेत्र बिजबिहाडा अपने गृह विधानसभा क्षेत्र से 1996 में विधानसभा चुनाव लड़ा क्योंकि उस समय आतंकवाद अपनी चरमसीमा पर था जिसके कारण कोई भी चुनाव नही लड़ना चाहता था।
वह अपनी दोनों बेटियों इर्तिका एवं इल्तिजा, उस समय प्राईमरी स्कूल में पढ़ रही थी। महबूबा ने पहली बार वहां से चुनाव में विजय प्राप्त की। उन्होंने यह चुनाव कांग्रेस पार्टी के नेतश्त्व में लड़ा तथा कांग्रेस विधान पार्टी ने उन्हें एक नेता के तौर पर भी चुना। 1999 में पीडीपी के बनने के उपरांत महबूबा ने विधानसभा सीट से त्यागपत्र दिया तथा 1999 में ही श्रीनगर से संसदीय चुनाव के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा।
उन्होंने 2002 में अनंतनाग जिले के पहलगाम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडा जिसमें उन्होंने जीत दर्ज की तथा 2004 में उन्होंने यह सीट रिक्त कर अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा। उन्होंने पुनः 2008 में जिला शोपिया के बाची विधानसभा क्षेत्र से राज्य विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड सफलता प्राप्त की।
मई 2014 में वह पुनः अनंतनाग-पुलवामा लोकसभा सीट से चुनी गई । उन्होंने सूचना प्राद्योगिकी एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से सम्बंधित महिला सषक्तिकरण संसदीय स्टेडिंग कमेटी के सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दी है। महबूबा अपनी स्थानीय सांस्कृति के साथ जुडी रही तथा कोई भी सत्ता उनमें परिवर्तन नहीं ला सकी। उनका सम्मान उनके सहयोगियों तथा आम लोगों द्वारा किया जाता है क्योकि उनमें राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को परिवर्तित करने की क्षमता भी है।