Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
bjp arise fingure on arrengment of funeral of martyr in sirohi!
Home Breaking अंतिम संस्कार की कथित अव्यवस्थाओं को लेकर भाजपा के विरोध में उतरी भाजपा!

अंतिम संस्कार की कथित अव्यवस्थाओं को लेकर भाजपा के विरोध में उतरी भाजपा!

0
अंतिम संस्कार की कथित अव्यवस्थाओं को लेकर भाजपा के विरोध में उतरी भाजपा!
Punjab assembly polls 2017 : BJP to announces candidates to be in November

सबगुरु न्यूज-सिरोही। नागाणी में ग्रेनेडियर रमेश चौधरी के अंतिम संस्कार की कथित अव्यवस्थाओं को लेकर भाजपा के नेता की प्रतिक्रिया पढक़र आश्चर्य हुआ। इस प्रतिक्रिया ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या शहीद और शहादत जैसे संवेदनशील मुद्दे पर क्या भाजपा ही भाजपा पर अंगुली उठाने लगी है।

 

नागाणी गांव में सबसे आगेवान भाजपा के जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी थे। सांसद देवजी पटेल के पहुंचने के बाद वह आगेवान हो गए। फिर राज्यमंत्री ओटाराम देवासी, विधायक जगसीराम कोली, जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया भी वहां पहुंची और सबसे आगे वहीं रहे। शहीद रमेश चौधरी की पार्थिव देह की तस्वीरें इस बात की तस्दीक कर रही है कि भाजपा नेता ही आगेवान थे, कांग्रेसी नहीं।
इसके बाद भी यदि भाजपा के पदाधिकारी वहां पर अव्यवस्थाओं की बात उठाते हैं तो वह क्या अपने ही प्रशासन और नेताओं की कार्यप्रणाली पर अंगुली नहीं उठा रहे हैं। उनका कहना है कि वहां पर बेरीकेटिंग की व्यवस्था नहीं थी, तो क्या वहां पर भगदड़ मची थी। शहीद की चिता के पास बेरीकेटिंग नहीं थी तो क्या उनके बड़े नेताओं के निर्णय लेने की क्षमता इतनी कम थी कि वह इस बात का निर्देश नहीं दे सके। या फिर वो भी सिरोही जिले के आम लोगों को शहीद के करीब होने के गौरव के अनुभव को रोकना नहीं चाहते थे।
इतनी भीड़ और संकड़ी हुई गली के बावजूद नागणी गांव में बिना पुलिस नियंत्रण के यदि ये हजारों लोग इतने अनुशासन में थे तो क्या वाकई इन्हें पुलिस से नियंत्रित किए जाने की आवश्यकता थी। कुछ भाजपा नेता को वहां पर टेंट और शामियाना भी चाहिए था। वहां आने वाले आम आदमी ने तो इसकी शिकायत नहीं की, उन्हें पता था कि अंतिम संस्कार में जा रहे हैं किसी राजनीतिक पार्टी के आह्वान पर आयोजित कार्यक्रम में नहीं। ये सब हिन्दु संस्कृति से वाकिफ हैं और इससे भी कि एक शहीद को अंतिम संस्कार में किस तरह सम्मान दिया जाता है। गनीमत यह रही कि प्रशासन की अव्यवस्थाओं पर अंगुली उठाने वाले भाजपा के पदाधिकारियों ने इतना स्वविवेक दिखाया कि अंतिम संस्कार स्थल पर चाय-नाश्ते या भोजन के पैकेट की व्यवस्था की मांग नहीं की।
असल में भाजपा के नेताओं की बेरीकेटिंग, पुलिस की मॉनीटरिंग नहंी होने जैसी अव्यवस्थाओं को निशाना बनाना उनकी वीआईपी ट्रीटमेंट पर आघात की प्रतिक्रिया ज्यादा लगती है। उन्हें शायद यह मंजूर नहीं था कि उनकी तरह ही आम ग्रामीण भी शहीद रमेश के पार्थिव शरीर के पास इतनी आसानी से पहुंचे जितनी आसानी से अपनी सत्ता में वह बेरिकेटिंग होने के बाद भी पहुंच जाते हैं। ऐसे में पानी में पानी मिल गया। सत्ता में आने के बाद भाजपा के ऐसे नेता खुदको देशी घी समझने लगे हैं, जो पानी के साथ मिलने में परहेज ही करता है। एक सच्चे सिपाही की शहादत को सिरोही के हजारों लोगों का अनुशासन ही तो सच्ची श्रद्धांजली था, इस मौन अभिव्यक्ति को समझने की जरूरत वहां थी।
परीक्षित मिश्रा