सबगुरु न्यूज-सिरोही। जिले में कांग्रेस या भाजपा की किसी भी प्रतिद्वंद्वी पार्टी के नेताओं के बयान और आरोपों पर प्रतिक्रिया जारी करना भाजपा का नैतिक और राजनीतिक दायित्व है। लोकतंत्र की यही मजबूती है कि विपक्ष सवाल उठाए और सत्ता पक्ष उसका जवाब दे।
लेकिन, प्रतिक्रिया की अपरिपक्वता यदि अपनी ही पार्टी के नेता के निर्णयों को विवेकहीन और अपरिपक्व होने की ओर इशारा करे तो सत्ताधारी नेताओं को इस तरह की बयानबाजी में सुधार की आवश्यकता है। भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी की ओर से एक सप्ताह में कांग्रेस के आरोपों पर दी गई प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अपरिपक्वता और निर्णयों को विवेकहीन बताने का संदेश ज्यादा दे रही है।
सिरोही के जिला कलक्टर अभिमन्यु कुमार के स्थानांतरण के बाद कांग्रेस की ओर से जारी प्रतिक्रिया पर सिरोही भाजपा जिलाध्यक्ष के मीडिया में प्रकाशित बयान में यह जवाब था कि सरकारी योजनाओं को समयबद्ध तरीके से नहीं करने वाले अधिकारियों को हटाया जाएगा।
उनका आरोप था कि पूर्व जिला कलक्टर और माउण्ट आबू एसडीएम कथित रूप से सरकारी कामों को अटका रहे थे इसलिए उनका टांसफर किया न कि इसलिए कि वह भाजपाइयों के कथित अनैतिक व अवैधानिक काम अटका रहे थे। इस पर कांग्रेस ने उनके इस अपरिपक्व बयान पर मुख्यमंत्री को कठघरे में खडा कर दिया।
लुम्बाराम चौधरी के बयान का यह संदेश भी गया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के निर्णय में विवेक नहीं दिखा रही हैं।
लुम्बाराम चौधरी के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने पलटवार किया कि यदि अभिमन्यु कुमार और माउण्ट आबू के एसडीएम गौरव अग्रवाल जनता के तथा सरकार की योजनाओं के काम अटका रहे होते तो उन्हें फील्ड पोस्टिंग नहीं दी गई होती। जबकि दोनों आईएएस अधिकारियों को समान पोस्टों पर दूसरे जिले और दूसरे उपखण्ड में लगाया गया।
कांग्रेस ने जिला भाजपा पर यह आरोप लगाया था कि वह अपने कथित अनैतिक और अवैधानिक कामों को नहीं करने पर अधिकारियों का स्थानांतरण करवा रहे हैं। जबकि लुम्बाराम चौधरी का आरोप था कि यह दोनों अधिकारी सरकारी योजनाओं के प्रति कम रुचिकर थे इसलिए इनका स्थानांतरण किया गया।
अब चौधरी के इस बयान पर स्वयं भाजपा और मुख्यमंत्री पर यह सवाल उठना जायज है कि जब मुख्यमंत्री को यह बताया गया था कि दोनों अधिकारी सरकारी योजनाओं के काम अटका रहे हैं तो मुख्यमंत्री ने उन्हें फिर से फील्ड पोस्टिंग क्यों दी। लुम्बाराम चैधरी का बयान उन्हें और जिला भाजपा को तो बचा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री के निर्णय लेने की क्षमता पर सवालिया निशान लगा रहा है।
इस बयान से यह संदेश भी जा रहा है कि मुख्यमंत्री में यह प्रशासनिक निर्णय क्षमता नहीं है कि फील्ड में किस तरह के अधिकारियों को लगाया जाये और यह भी कि कथित कर्तव्यों के प्रति कथित गैर जवाबदेह अधिकारियों को फिर से फील्ड पोस्टिंग देकर वह दूसरे जिलों को भी बेहाल करना चाहती हैं, यही संदेश तो कांग्रेस पार्टी तथा भाजपा के विधायक घनश्याम तिवाडी भी प्रदेश और संगठन में देना चाह रहे हैं।
चौधरी का दूसरा बयान सचिन पायलट के दौरे में नर्मदा का जल सिरोही में लाने के संबंध में था। यह सर्वविदित है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विधानसभा चुनाव से पूर्व जावाल की चुनावी सभा में और लोकसभा चुनावों से पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वसुंधरा राजे ने सुमेरपुर की चुनावी सभा में सिरोही में नर्मदा का पानी लाने का वायदा किया था।
कांग्रेस के लिए आगामी चुनाव में यह सबसे बडा मुद्दा है। लुम्बाराम चौधरी का मीडिया में प्रकाशित बयान के अनुसार सर्वे के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने यह आया कि नर्मदा का पानी सिरोही में लाना नाॅन फिजियेबल है। चौधरी का यह बयान मुख्यमंत्री की ओर से किए गए चुनावी वायदों को बिना सोचे समझे बोलने की ओर इशारा कर रहा है।
इससे जनता में यह संदेश भी जा रहा है कि वसुंधरा राजे जैसी कुशाग्र नेत्री ने बिना सोचे समझे इस तरह के बेतुके वायदे किए, जिन्हे धरातल पर उतारा जाना सम्भव नही था। यही बात कांगे्रस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और सिरोही में कांग्रेस सिद्ध करना चाह रही है और भाजपा जिलाध्यक्ष ऐसा बयान देकर कांग्रेस के आरोपों को एक तरह से जाने अनजाने मे सही ठहराते हुए साबित हो रहे हैं।
चौधरी के यह बयान सचिन पायलट को वसुंधरा राजे से ज्यादा परिपक्व नेता प्रदर्शित कर रहा है जिन्होंने नर्मदा का पानी सिरोही में लाने के सवाल पर यह जवाब दिया कि इसकी फिजिबिलिट जांच के बाद ही वह कुछ कहेंगे। इस तरह के बयानों भविष्य में जनता के बीच राजे की ओर से किए जाने वाले वायदों पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
वैसे भी साढे तीन साल में भाजपा की जिले में जो कार्यप्रणाली रही है उसने स्वयं भाजपाइयों में भी असंतोष पैदा कर दिया है। जिलाध्यक्ष भविष्य में अपने बयानों से निकलने वाले अर्थ की ओर ध्यान दिए बिना बयानबाजी करते रहे तो कांग्रेस को उनकी लूज बाल को बाउंड्री पार करने में देरी नहीं लगेगी और सरकार के प्रति भी लोगों को यही नजरिया जाएगा कि जयपुर से सिरोही तक स्थिति समान है।
चौधरी ट्रांसफर वाले आरोप पर कांग्रेस के समय मे हुए ट्रांसफरों की कमी दिखाकर और नर्मदा के मामले में सरकार की ओर से करवाए गए सर्वे और पानी के लिए किए गए वैकल्पिक कार्यों को गिनाकर भी अपने बयान समेट सकते थे। ऐसे जिलाध्यक्ष को अपनी टीम मे और सक्षम लोगो को साथ मे लेने की आवश्यक्ता है जो संगठन को आगामी चुनावो मे जनता के बीच मे भाजपा और मुख्यमंत्री को लेकार सकारत्मक सन्देश दे सके।