सबगुरु न्यूज
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सिरोही। राजस्थान में अभूतपूर्व बहुमत के साथ सत्ता पर आते ही जिले के भाजपा व उसे जुडे संगठन के पदाधिकारियों ने वो सबकुछ करना शुरू कर दिया जो कभी जिले के कांग्रेस के नेताओं ने नहीं किया। हालात ऐसे नजर आ रहे हैं कि यह कांग्रेस के साठ साल की अनीति की बराबरी भाजपा पांच साल में ही करने को आतुर हैं।
किसानों को एमएल गन का लाइसेंस पांच साल से मिले या नहीं मिले पार्टी के आला पदाधिकारी ने अपनी पिस्टल के लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया। लोगों को पीने के लिए पानी मिले या नहीं मिले प्रभारी मंत्री और स्थानीय विधायक अपने लिए नारियल पानी की व्यवस्था करवा ही लेते हैं। हालात यह हो गए कि खुद लोग मानने लगे हैं कि भाजपा के जनप्रतिनिधि और पार्टी पदाधिकारी जनता की सेवा से ज्यादा अधिकारियों की चमचागिरी में ज्यादा व्यस्त हैं। स्थिति यह है कि भाजपा से जुड1े एक प्रमुख संगठन के जिले के प्रतिनिधि ऐसे नेताओं की चाटूकारिता करके उनकी इस अकर्मण्यता के लिए साफापोशी करते भी नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस से परेशान होकर जनता ने भाजपा को जिले में जो अभूतपूर्व जीत दिलवाई थी, उस पर भाजपाई किसी तरह से खरे नहीं उतर पा रहे हैं। जमीनों पर अतिक्रमण, अवैध पट्टे बनवाने, बांधों के दम घोटने जैसे सभी अनीतिपूर्ण कार्य करने में भाजपा व उससे जुडे एक संगठन के पदाधिकारी चूक नहीं रहे हैं। इस पर कोढ में खाज यहां के अकर्मण्य अधिकारी। इनके गठजोड ने ऐसी स्थिति ला दी है कि जनता की सुनवाई होना मुश्किल है। सुनने में तो यह तक आया है कि काम करवाने के लिए जीवन को सुरक्षित करवाने के दस्तावेज बनवाने की आवश्यक शर्तें भी कुछ पदाधिकारी डालने लगे हैं।
जिस अच्छे दिन के लिए नरेन्द्र मोदी ने सपने दिखाए थे, वैसा एक प्रतिशत काम भी यहां नहीं हो रहा है। मंगलवार को महिलाओं का कलक्टर के घर के सामने का रास्ता रोकना इसी अनदेखी का परिणाम और ऐसे आंदोलनों की शुरूआत भी है।
अकर्मण्य हैं तो हटते क्यों नहीं
यह जनता को भी सोचने का विषय है कि जिस तरह की अकर्मण्यता जिले के अधिकारी दिखा रहे हैं उसके बाद भी पिछले दो महीने में आई स्थानांतरण सूची में एक भी अधिकारी यहां से हिला नहीं तो इसके पीछे राज क्या है। भाजपा नेता और उसके सहयोग राष्ट्रवादी संगठन के पदाधिकारी अधिकारियों के हित साध रहे हैं तो अधिकारी इन दोंनों के हित साध रहे हैं। हथियार लाइसेंस देना, अतिक्रमणों को नियमन करवाना, बिना आवश्यकता की वस्तुएं खरीदना, अतिक्रमण करना और करवाना, आपराधिक गतिविधियों में नामजद लोगों को उपकृत करना और न जाने कितने घृणित समझे जाने वाले काम यह नए तरह का माफिया जिले में कर रहा है। इसे रोकने के लिए न तो विपक्ष को रूचि है और न ही सत्ता पक्ष के किसी पदाधिकारी को।
सरकार ने कोढ में खाज का काम स्थानीय विधायक को ही यहां का प्रभारी मंत्री बनाकर कर दिया। स्थिति यह है कि खुद सांसद देवजी पटेल का यह मानना है कि अब तक यहां के अधिकारियों ने बीस महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों को तो स्वीकृति के लिए जयपुर और दिल्ली तक नहीं भेजा है। इसके बाद भी यह अधिकारी यहां पर टिके हुए हैं। वैसे पार्टी सूत्रों की मानें तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों व भाजपा से जुडे एक संगठन की इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है।
कांग्रेस नेता भी कम दोषी नहीं
कांग्रेस के दबंग कहे जाने वाले नेता भी इस सबके लिए कम दोषी नहीं हैं। कथित रूप से सिरोही ने कभी उनके जीतने में सहयोग नहीं किया तो उनकी भी हठ है कि वह सिरोही जिला मुख्यालय के लिए कुछ भी नहीं करेंगे। आखिर अपने वजूद को तरस रही कांग्रेस के लिए इस मौके को गंवाना भी कोई समझदारी तो नजर नहीं आती।
अपनी जमीन गवां चुके ऐसे नेता यदि जनप्रतिनिधि बनकर ही अपना वजूद बनाने की जिद धारे हुए है तो उन्हें अपने जनहितैषी चेहरे को जनता के सामने लाने का इससे बेहतर मौका नहंी मिलेगा। जिस स्तर पर अनियमितताएं हुई हैं, यदि उन्हें उजागर करने में भी कांग्रेस अपनी उर्जा नहीं लगाएगी तो वो दिन दूर नहीं जब इन दोनों राष्ट्रीय पार्टी का विकल्प भी लोग ढूंढ लेंगे।