नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी का गठबंधन भाजपा के लिए नित नई समस्याएं पैदा कर रहा है। अफजल गुरु के अवशेष सौंपने की मांग के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के बयान ने मुसीबत पैदा कर दी।
सईद ने कहा था कि राज्य विधानसभा के शांतिपूर्ण चुनाव का श्रेय पाकिस्तान और अलगाववादी हुर्रियत को दिया जाना चाहिए। मंगलवार को गृहमंत्री ने इस संबंध में सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि सईद के बयान का समर्थन करने का सवाल ही पैदा नहीं होता और पूरी लोकसभा की यही भावना है।
इस मुद्दे पर एकजुट विपक्ष ने लोकसभा में मंगलवार को दूसरे दिन सरकार को निशाने पर लेते हुए इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से स्पष्टीकरण मांगा तथा सदन द्वारा निंदा प्रस्ताव पारित करने की मांग की। विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करना पड़ी। इसके बाद पौने बारह बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में अपने सोमवार के बयानों को दोहराते हुए कहा कि सदस्यों ने मुफ्ती के बयान पर चिंता व्यक्त की है और प्रश्न खड़े किये हैं। इस बारे में पहले ही सरकार और पार्टी (भाजपा) ने सईद के बयान से अपने आप को पूरी तरह से अलग करने की बात कह दी है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार और उनके दल की ओर से इसे स्वीकार करने का प्रश्न ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव कराने का श्रेय राज्य की जनता, सुरक्षा बलों एवं चुनाव आयोग दिया जाता है। इसके बाद सदन की कार्यवाही शुरू हो गई। उल्लेखनीय है कि रविवार को पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ देर बाद ही मुफ्ती मोहम्मद सईद ने अपने विवादास्पद बयान में कहा था कि राज्य विधानसभा के शांतिपूर्ण चुनाव का श्रेय पाकिस्तान और अलगाववादी हुर्रियत को जाता है।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से की निंदा करने की मांग
सईद के बयान का विरोध करते हुए कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में इसकी निंदा करें। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती साहब को यह लगता है कि चुनाव शांतिपूर्ण कराने में हुर्रियत का हाथ है। दीपेन्दर हुड्डा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में यह कैसी सरकार बनी है, अफजल गुरु का स्मारक बनाने की बात करती है। हालांकि खड़गे ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने कहा कि कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुना चुकी है। इसके बाद उन्हें इस मामले में कुछ नहीं कहना है। गौरतलब है कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को संसद में मुफ्ती के बयान से पल्ला झाड़ लिया था। उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार और भाजपा जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के बयान से कोई इत्तेफाक नहीं रखती है। पाकिस्तान में शांतिपूर्ण चुनाव कराने के पीछे चुनाव आयोग, वहां की आवाम और सेना का मुख्य योगदान रखा। उन्होंने यह भी कहा कि यह बयान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विचार विमर्श करने के बाद दे रहे हैं। प्रधानमंत्री का भी इस मुद्दे पर यही रुख है।