शिलांग। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बुधवार को कहा कि मोदी सरकार राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) को भंग करने पर विचार कर रही है।
अर्ध न्यायिक निकाय की स्थापना करने वाले पूर्व पर्यावरण एवं वन मंत्री ने कहा कि हम मुश्किल वक्त से गुजर रहे हैं और इसे भंग करने के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
जयराम ने मंगलवार रात मेघालय के हेरिटेज क्लब में अपनी किताब ‘इंदिरा गांधी : अ लाइफ इन नेचर’ लांच की। उन्होंने कहा कि सरकार पर्यावरण को एक सामाजिक जिम्मेदारी न मानकर एक नियामक बोझ मान कर व्यवहार कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार इसे इस नजरिए से नहीं देख रही कि यह भारत के वर्तमान व भविष्य के लिए जरूरी है। वे पर्यावरण को व्यापार करने में बाधा के तौर पर देखते हैं।
रमेश ने पहले ही सर्वोच्च न्यायालय में वित्त अधिनियम 2017 के जरिए किए गए बदलावों को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। इस कानून के जरिए एनजीटी सहित विभिन्न वैधानिक न्यायाधिकरणों में नियुक्ति व कामकाज की शर्तो में बदलाव किया गया है।
रमेश ने कहा कि एनजीटी की स्वतंत्रता को कम करना एक स्वच्छ पर्यावरण व एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र के मूल अधिकार को सीधे तौर पर कमजोर करना है।
मेघालय के लंबे समय से लंबित यूरेनियम परियोजना पर कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार प्रस्तावित खनन परियोजना से किनारा नहीं कर सकती।