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मध्यप्रदेश में भाजपा की बढ़ रहीं मुसीबतें! - Sabguru News
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मध्यप्रदेश में भाजपा की बढ़ रहीं मुसीबतें!

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मध्यप्रदेश में भाजपा की बढ़ रहीं मुसीबतें!
BJP growing troubles in Madhya Pradesh!
BJP growing troubles in Madhya Pradesh!
BJP growing troubles in Madhya Pradesh!

भोपाल। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए आने वाले दिन आसान नहीं दिख रहे। सत्तारूढ़ पार्टी को ‘अपनों’ के कारण ही मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।

एक महिला विधायक ने पार्टी पर अपरोक्ष रूप से चंदा वसूली का आरोप लगाकर अगला चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है, तो अदालत ने राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य को कांग्रेस विधायक हत्याकांड में आरोपी माना है और पार्टी का एक पदाधिकारी तो देह व्यापार गिरोह का सदस्य निकला।

स्वच्छता, नैतिकता, शुचिता और पारदर्शिता की बात करने वाली भाजपा को इन दिनों राज्य में रक्षात्मक रुख अपनाना पड़ रहा है, क्योंकि उसके पास उन घटनाओं का सीधा और सपाट जवाब नहीं है, जिसमें उसके जिम्मेदार लोग शामिल हैं।

बीते एक सप्ताह में सामने आए मामलों ने भाजपा को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। मामले ऐसे हैं कि भाजपा इन्हें राजनीतिक कारण बताकर बचकर निकल भी नहीं सकती।

सागर के सुरखी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित विधायक पारुल साहू ने पार्टी के बड़े नेताओं की मौजूदगी में अगला चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने इस बात का ऐलान संवाददाता सम्मेलन में भी किया।

सवाल उठ रहा है कि कोई विधायक, जो पहली बार निर्वाचित हुई हो, युवा हो और विदेश में शिक्षा अर्जित करने के बाद राजनीति में आई हो, उसे ऐसा फैसला क्यों लेना पड़ा। मामले की तह तक जाने पर जो बात कथित तौर पर सामने आई है, वह चौंकाने वाली है।

विधायक पारुल साहू से पार्टी के एक आयोजन के लिए चंदा मांगा गया। जब उन्होंने देने से इनकार कर दिया, तो उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया। पार्टी के रवैए से आहत पारुल ने अगला चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।

महिला विधायक का मामला अभी शांत भी हुआ था कि भोपाल के एक पॉश इलाके में नौकरी का झांसा देकर दूसरे प्रदेश से लाई गई लड़कियों को देह व्यापार में धकेलने का खुलासा हुआ, इसमें पकड़े गए आरोपियों में एक भाजपा का पदाधिकारी नीरज शाक्य निकला। प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने नीरज को पार्टी के निष्कासित कर दिया है, मगर इससे पार्टी पर लगा भद्दा दाग तो धुल नहीं जाएगा।

पार्टी इन दोनों मामलों से अपने को उबार पाती कि शुक्रवार को भिंड की विशेष अदालत के न्यायाधीश योगेश गुप्ता ने वर्ष 2009 में हुए कांग्रेस विधायक माखन लाल जाटव हत्याकांड में राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य को आरोपी बनाने का आवेदन स्वीकार कर लिया। अब उन पर हत्या का मुकदमा चलेगा।

इन तीन घटनाओं ने विपक्षी कांग्रेस को बैठे-बिठाए भाजपा पर हमला करने का अच्छा मौका दे दिया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि शिवराज सरकार हत्या के आरोपी मंत्री को न केवल बचा रही है, बल्कि भाजपा अध्यक्ष अदालत की कार्यवाही को ही गलत साबित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हत्या का आरोप अदालत द्वारा लगाए जाने के बावजूद अगर लाल सिंह आर्य ने इस्तीफा नहीं दिया या उन्हें हटाया नहीं गया तो मंगलवार को वे धरना देंगे।

अजय सिंह ने कहा कि सेक्स रैकेट हो या देश के खिलाफ जासूसी का मामला हो, हर ऐसे कांड में भाजपा का पदाधिकारी हिस्सेदार होता है। व्यापम जैसा महाघोटाला तो अमरीका के वाटरगेट कांड से भी ज्यादा विश्व प्रसिद्ध हो गया है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अपने को संस्कारों और राष्ट्रवादी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा अपराधियों को बचाने वाली पार्टी बन गई है। सेक्स रैकेट हो या फिर देश के खिलाफ आईएसआई के लिए जासूसी करने का मामला हो, सभी में भाजपा के लोग शामिल हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

अजय सिंह ने आगे कहा कि एक तरफ आरोपी बचाए जा रहे हैं, तो दूसरी ओर एक युवा विधायक पार्टी में घुटन महसूस कर रही हैं। विधायक ने जो आरोप लगाए हैं, वह पूरी पार्टी की संस्कृति और आचार-विचार पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।

वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चौहान ने कहा कि भिंड की विशेष अदालत के फैसले पर सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य को इस्तीफा देने की कोई आवश्यकता नहीं है। न ही वे इस्तीफा देंगे।

उन्होंने आगे कहा कि हमें न्याय प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है और हमारा पूर्ण विश्वास है कि आर्य का किसी हत्याकांड से कोई लेना-देना नहीं है। हम उच्च न्यायालय में जाएंगे, क्योंकि पुलिस की जांच में आर्य को क्लीनचिट दी जा चुकी है। सीबीआई ने भी आर्य को क्लीनचिट दी है।

ज्ञात हो कि पाकिस्तान को सामरिक महत्व की जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए चलाए जा रहे समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज के मामले में भी पकड़े गए आरोपियों में से एक ध्रुव सक्सेना भाजपा का पदाधिकारी निकला था। उसके बाद सामने आए इन ताजा मामलों में भाजपा और सरकार के लिए जवाब दे पाना आसान नहीं है। पार्टी के सामने अगले साल विधानसभा चुनाव जीतने की भी चुनौती है।