सिरोही। चाय की थडियों पर थर्सडे टी चेटिंग का प्रमुख चर्चा का विषय यही था कि कांग्रेस के भ्रष्टाचार से आजीज जनता ने जिस भाजपा को अभूतपूर्व बहुमत देकर सत्ता पर काबिज किया, वह भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस को पछाडने आमादा है।
चर्चा इस बात की भी थी कि कई मामलों में तो वह कांग्रेस से भी आगे निकल गई है। इसके लिए गाॅसिपर जालोर नगर परिषद का उदाहरण देते हुए सिरोही की भी चर्चा करते नजर आए। दलाल के माध्यम से रिश्वत लेने के मामले एसीबी की गिरफतारी और 13 दिन जेल में गुजारने के बाद जालोर नगर परिषद के भाजपा के सभापति फिर से अपने पद पर आसीन हो गए।
जिन चैकों का काटने के लिए उन पर रिश्वत मांगने के लिए गिरफतार किया गया था, उन्हीं चेकों पर फिर से हस्ताक्षर करने लगे हैं। उनका यह भी कहना था कि सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के मामले में हठधर्मिता धारे भाजपा को शायद जालोर सभापति के मामले में भी एसीबी के सबूत कम लग रहे होंगे। कडी से कडी मिलाने का असर यह हुआ कि केन्द्र, राज्य और नगर व गांवों तक भ्रष्टाचार को संरक्षण देने की पूरी ताकत मिल चुकी है।
यह बात तो तय है कि जालोर और सिरोही के मामलों से तो राष्ट्रवाद के नाम पर भाजपा का समर्थन करने वाला स्थानीय कार्यकर्ता और मतदाता भी ठगा हुआ महसूस कर रहा है। वहीं राष्ट्रवाद के नाम पर भाजपा के लिए वोट मांगने वाली आरएसएस के कर्मठ कार्यकर्ता भी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वैसे जालोर सभापति के फिर से पद पर काबिज होने के बाद यह बात चाय की थडियों पर पर गुरुवार की सुबह टी चैटिंग का हिस्सा बन चुकी है।
कांग्रेस ने बचाया, भाजपा ने लुटाया
जनता की जमीनों की ट्रस्टी बनकर कांग्रेस राज में जिन सरकारी जमीनों को कांग्रेस सरकार और अधिकारियों ने अतिक्रमियों और भूमाफियाओं से मुक्त करवाया था, भाजपा के सभापति ताराराम माली और नगर परिषद में भाजपा शासन में तैनात कार्यवाहक आयुक्त लालसिंह राणावत के कार्यकाल मे वो सभी सभी जमीनें अतिक्रमियों और भूमाफियाओं के हवाले कर दी।
खसरा संख्या-1218 के अलावा सार्दुलपुरा हाउसिंग स्कीम के भी जो भूखण्ड अतिक्रमणमुक्त करवाए गए थे उनके पट्टे जारी कर दिये। अपने रिश्तेदारों और करीबियों को तो इन लोगों ने जमकर जनता के हित की जमीनें लुटाई।
हाथ झाडा
सूत्रों के अनुसार सिरोही नगर परिषद में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर पहुंचाने वाला अधिकारी कुछ दिनों पहले परिषद में भी पहुंचे। भ्रष्टाचार के मामलों के एसीबी से घिर चुके कुछ कार्मिकों ने यह पूछा कि उन्हें क्यों फंसाया तो वह इस सबसे यह कहते हुए पल्ला झाड गए कि उनका नहीं हस्ताक्षर और तस्दीक करने वाले का दोष और जवाबदेही है, वे इन सबसे फारिग हो चुके हैं।
नगर परिषद सभापति खसरा संख्या 1218 समेत अन्य जमीनों के पटटों व स्ट्रीप आॅफ लैण्ड के मामले में गेंद पूर्व आयुक्त के पाले में डालने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्हें भी यह समझ जाना चाहिए कि जवाबदेही उनकी भी है। पद पर बैठने के बाद वह इससे मुंह नहीं मोड सकते हैं। वैसे यह बात भी सामने आ रही है कि 1218 के पट्टे तो ओरिजिनल फाइल कि जगह फोटो कोपी पर ही जारी कज दिये गये है।
जुलाई में हुए यह पंजीयन
सिरोही नगर परिषद के भाजपा बोर्ड में सभापति ताराराम माली और कार्यवाहक आयुक्त लालसिंह राणावत के कार्यकाल मे अंतिम दस दिनों में किन लोगों पर जमीनें वारी हैं उनकी लम्बी फेहरिस्त है।
नवम्बर से इस सूची को देखा जाए तो यह और भी लम्बी हो जाएगी, लेकिन जुलाई और अंतिम दस दिनों में जमीनों को पंजीकृत करवाने वाले चुनिंदा नामों पर भी नजर डालें तो यह समझ में आ जाएगा कि इनमें भाजपा के वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों के कितने रिश्तेदार और सरकारी कार्मिक शामिल हैं।
जुलाई महीने में जिन लोगो के नाम से जमीने पंजीकृत हुइ है उनमे शांति मीणा, ईश्वरसिंह, प्रेमलता, रंम्बा देवी, नरपतसिंह, नवलसिंह, गंगाबाई, दौलाराम माली, खेताराम जीनगर, महेन्द्र, महेन्द्र, गीता, सीमा, जग्गूदेवी, बद्रीराम, मोहन, मुजफ्फर, गुलशन बानो, विमलादेवी, लखाराम माली समेत कई लोग शामिल है, इनमे से कौन किस वर्तमान ओर पूर्व भाजपा नेता का करीबी और नगर् परिषद से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुडे हुए है यह खुद सिरोही वासी ढूंढ लेवे।