लखनऊ। भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय जोशी ने कहा कि पिछले एक वर्ष में भारत की वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा बहुत बढ़ी है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दुनिया देख रही है कि भारत इस समय मजबूत नेतृत्व कर रहा है। जिसकी अवहेलना नहीं की जा सकती। लेकिन श्रेष्ठ भारत बनाने में देश के सभी नागरिक को अपना कर्तव्य निर्वाह करना पड़ेगा। यह कार्य केवल सरकार नहीं कर सकती है।
जोशी रविवार को राजधानी में भारतीय नागरिक परिषद के तत्वावधान में 1857 की क्रान्ति दिवस पर आयोजित भारतीय स्वातन्त्रय समर क्रान्तिकारियों के सपनों का भारत नामक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश ने 6 दशकों में स्वत्रंता के बाद प्रगति की है। हम मंगल तक पहुंच गए। अणु विस्फोट का अहसास हम दुनिया को आज भी कराते हैं। प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा में हिन्दुस्तान का डंका बजा है।
यह तो सब ठीक है। लेकिन दूसरी ओर दांतेवाड़ा में नक्शलियों की हरकत मंहगाई, गरीबी, जैसे चीजों को देखकर दिल कराह उठता है। तो दूसरी ओर काश्मीर में अलगाववादी के बागवती सुर उठते हैं। जो कि देश को प्रगति के लिए रोड़ा बनने का काम करते हैं। इसे ठीक करना हम सब का काम है।
सरकार अपना काम कर रही है। लेकिन सहयोग सभी का जरूरी है।आज के युग में पैसे का प्रभाव बढ़ रहा है। हम हर वस्तु को पैसे से तौलते हैं जो कि ठीक नहीं है। समाज और राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझना भी अनिवार्य है।
इमारतों की उंचाइया तो रात दिन बड़ी रही है। लेकिन मानवता की उचाइयां उतनी ही कम होती जा रही है। नैतिक मूल्यों को समझने की जरूरत है।उन्होने देश को अगर तरक्की के रास्ते पर ले जाना है तो कदम से कदम मिलाना होगा।
स्वच्छता जैसे पावन अभियान को अपने मानसिकता से स्विकार करना होगा तभी पर्यावरण की रक्षा हो सकती है। नमामि गंगे परियोजना सरकार की अच्छी परियोजना है पर इसमें हम सबको सहयोग करना होगा। देश के साथ भावनात्मक जुड़ाव जरूरी है।
इस दौरान शैलेन्द्र दुबे ने 1857 की क्रांति की पृष्ठभूमि से परिचय कराया। 1857 का स्वत्रन्ता संग्राम अग्रेजों के सीधे विरोध में था। नाना साहब ने इसके पहले चार महीने तक देश में प्रवास किया था। वह अंग्रेजों की बस्तियों में रूककर स्थिति का आकलन करते थे।
सैनिक छावनियों में तथा रोटी जनसामान्य के बीच प्रतीक रूप घुमाई जा रही थी। यह संग्राम राजा-महराजाओं पर नहीं था। बंगलोर, जो सबसे बड़ा राज्य था, वह शामिल नहीं था। राज्य जा रहे थे, यह भी सच नहीं स्वाभिमानी शासक व जनसामान्य शामिल थे।
वास्तव में 1857 में प्रारम्भ हुयी आजादी की लड़ाई 1947 में जाकर पूर्ण हुयी।संगोष्ठी में परिषद के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री, पवन पुत्र बादल, दिलीप अग्निहोत्री समेत अनेक लोग उपास्थित रहे।