मुंबई। महाराष्ट्र में संपन्न नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को आशातीत सफलता मिली है। प्रधानमंत्री की ओर से नोटबंदी लागू करने के बाद भी स्थानीय स्तर पर लोगों ने भाजपा में ही भविष्य देखा है और अन्य दलों को दरकिनार कर दिया है।
पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार भाजपा के 52 नगराध्यक्ष चुने गए हैं और हजार की संख्या में नगर सेवक बनने में सफल रहे हैं। इस सफलता ने विपक्षियों को परेशान कर दिया है।
मतगणना के बाद विपक्ष को बात करते नहीं बन रहा है और विपक्षी नेता एकदूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगने में लग गए हैं। नगरनिकाय चुनाव के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू अभी तक कायम हैं, राज्य की जनता प्रधानमंत्री के हर निर्णय पर उनके साथ खड़ी है।
राज्य में 147 नगरपालिका व 17 नगरपंचायत का चुनाव पिछले रविवार को संपन्न हुआ। नगरनिकाय का यह पहले चरण का चुनाव था। अभी नगरनिकाय के चुनाव के 3 चरण का मतदान होना बाकी है। पहले चरण के चुनाव में भाजपा को 35 फीसदी से ज्यादा मत प्राप्त हुए हैं।
भाजपा ने इस चुनाव में उन सीटों पर, उन जिलों में बेहतर प्रदर्शन किया है, जहां इससे पहले भाजपा अस्तित्व में भी नहीं थी। इस प्रदर्शन ने भाजपा पर लगने वाले शहरी पार्टी जैसे आरोपों को भी शिरे से नकार दिया है।
आम तौर पर नगर निकाय स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं, लेकिन इस चुनाव में जनता ने केंद्र व राज्य सरकारों के विकास कार्यों को महत्व दिया है। राज्य में पिछले 2 साल से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के विकास कार्यो पर राज्य की जनता ने अपनी मुहर लगाते हुए भाजपा को नंबरवन बना दिया है।
यह चुनाव मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रावसाहेब दानवे के नेतृत्व में लड़े गए थे। नगरनिकाय चुनाव में मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। आम जनता उनके कार्यों को कितना पसंद करती है, यह इस चुनाव से साबित होने वाला था, लेकिन चुनाव में मिली सफलता ने मुख्यमंत्री की कार्यपद्धति व विकास कार्यों पर मुहर लगा दिया है।
ऐन चुनाव प्रचार के दरम्यान ही प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का निर्णय घोषित कर दिया। इससे आम नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। विपक्ष का आकलन था कि प्रधानमंत्री की नोटबंदी की घोषणा से परेशान आम जनता विपक्ष को मौका जरूर देगी, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने चुनाव प्रचार से आम जनता में विकास के मुद्दे को जीवंत बनाए रखा।
मुख्यमंत्री की इस मुहिम में मंत्रिमंडल के उनके सहयोगी, भाजपा संगठन पूरी ताकत से लगा रहा, जिसका परिणाम आम जनता के सामने है। आम तौर पर इस चुनाव में यह स्पष्ट हो गया कि जनता को विकास कार्य पसंद है और वह विकास की बात करने वालों को ही अपना नेता बनाना चाहती है।
पंचतारांकित होटलों में बैठकर चोंचलेबाजी करने वालों को जनता ने इस चुनाव में किसी काम के लायक न समझते हुए नकार दिया है। इस चुनाव की विशेषता रही है कि भाजपा राज्य में जहां नंबरवन पक्ष बनकर उभरी है, वहीं राज्य की सत्ता में भागीदार शिवसेना दूसरे क्रमांक पर रही है।
कांग्रेस तीसरे व राकांपा चौथे क्रमांक पर पहुंच गई है। कहने का मतलब यह कि आम जनता ने पिछले सत्तर साल से देश की सत्ता संभालने वाली कांग्रेस व राकांपा को विपक्ष के लायक भी नहीं समझा है। इससे पहले चुनाव में कांग्रेस पार्टी को हाथों हाथ लेने वाली जनता ने इन दलों को नकार दिया है।
नगरनिकाय चुनाव में भाजपा के समक्ष चुनौती बहुत अधिक थी। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अन्य दलों से प्रत्याशियों को आयात किया था। इन संसदीय क्षेत्रों में भी भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है। इसी प्रकार भाजपा ने इस बार नगराध्यक्ष पद का चुनाव सीधे आम जनता से करवाया था।
आम जनता ने भाजपा के इस निर्णय पर मुहर लगाते हुए सर्वाधिक 52 नगराध्यक्ष भाजपा को दिया है। इस तरह भाजपा ने 2 साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की जमीन बनाने का काम कर लिया है। नगरनिकाय चुनाव में भाजपा ने पश्चिम महाराष्ट्र में कांग्रेस व राकांपा के परंपरागत सीटों पर कब्जा जमा लिया है।
कोल्हापुर में भी भाजपा ने शिवसेना को चारों खाने चित कर दिया है। कोल्हापुर में शिवसेना के 6 विधायक हैं, इसके बाववूद शिवसेना यहां अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी है। राकांपा का गढ रहे सांगली, तासगांव में भी भाजपा ने अपना परचम लहराया है।